पथ सूना है… तुम हो हम हैं… आओ बात करें।

पथ सूना है, तुम हो हम हैं, आओ बात करें। गुमसुम-गुमसुम-सा है मन, आंखें खोयी-खोयी दिशा-दिशा चुप्पियों बीच लगती सोयी-सोयी देखी गई हवाएं थम हैं, आओ बात करें। अपनी-अपनी गठरी ले क्या अलग-अलग चलना खोल कहीं दो पल हंस लेना, फिर घंटों जलना खुशियां थोड़ी ढेरों गम हैं, आओ बात करें। कहते-कहते सुनते-कहते दिन कट …

पथ सूना है, तुम हो हम हैं, आओ बात करें।

गुमसुम-गुमसुम-सा है मन, आंखें खोयी-खोयी
दिशा-दिशा चुप्पियों बीच लगती सोयी-सोयी
देखी गई हवाएं थम हैं, आओ बात करें।

अपनी-अपनी गठरी ले क्या अलग-अलग चलना
खोल कहीं दो पल हंस लेना, फिर घंटों जलना
खुशियां थोड़ी ढेरों गम हैं, आओ बात करें।

कहते-कहते सुनते-कहते दिन कट जाएंगे
हंसी हंसी से, आंसू से आंसू बंट जाएंगे
साथ सफर की घड़ियां कम हैं,आओ बात करें।

पता नहीं चलते-चलते कब कौन बिछड़ जाए
कौन पात कब किस अंधी आंधी में पड़ जाए
अभी समय की आंखें नम हैं, आओ बात करें
पथ सूना है, तुम हो हम हैं, आओ बात करें।।

(रामदरश मिश्र प्रतिनिधि कविताएं- राजकमल प्रकाशन)

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