Faiz Ahmed Faiz
साहित्य 

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे जो इश्क़ को काम समझते थे या काम से आशिक़ी करते थे हम जीते-जी मसरूफ़ रहे कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया काम इश्क़ के आड़े आता रहा और इश्क़ से काम उलझता रहा फिर आख़िर तंग आ कर हम ने दोनों को अधूरा …
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साहित्य 

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन देखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज ‘फ़ैज़’ मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं तुम क्या गए कि रूठ …
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साहित्य 

राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया

राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया दिल बहुत कुछ जला के देख लिया और क्या देखने को बाक़ी है आप से दिल लगा के देख लिया वो मिरे हो के भी मिरे न हुए उन को अपना बना के देख लिया आज उन की नज़र में कुछ हम ने सब की नज़रें बचा के देख लिया …
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साहित्य 

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले…

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले… फैज़ अहमद फ़ैज़ एक पाकिस्तानी कवि और बुद्धिजीवी थे। उनकी कविता का पाकिस्तान के सांस्कृतिक इतिहास पर काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं में भी लिखा, जो दक्षिण एशिया के अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है। फैज़ अहमद फ़ैज़ की ये कविता सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन …
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