शाहजहांपुर: पांच भिक्षुओं ने वस्सावास पूर्ण कर किया धम्म का अध्ययन

शाहजहांपुर, अमृत विचार। दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में बुद्ध विहार में 66वां धम्म दीक्षा स्मृति दिवस एवं वस्सावस समापन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बिहाराधीश भिक्षु चंद्ररत्न महाथेरा के सानिध्य में पांच भिक्षुओं ने वस्सावास पूर्ण किया। महाथेरा ने बताया कि वस्सावास के तीन माह में भिक्षु संघ ने भगवान …
शाहजहांपुर, अमृत विचार। दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में बुद्ध विहार में 66वां धम्म दीक्षा स्मृति दिवस एवं वस्सावस समापन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बिहाराधीश भिक्षु चंद्ररत्न महाथेरा के सानिध्य में पांच भिक्षुओं ने वस्सावास पूर्ण किया।
महाथेरा ने बताया कि वस्सावास के तीन माह में भिक्षु संघ ने भगवान बुद्ध विहार में रहकर बौद्ध धम्म की बारीकियों का अध्ययन और मनन किया। जेएलएमडी इंटर कॉलेज सीतापुर के प्रधानाचार्य डॉ. स्वरूपानंद महास्थविर ने वस्सावास के समापन पर धम्म देसना देते हुए कहा कि बौद्ध आध्यात्मिक परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी शुरुआत भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद की थी। उन्होंने कहा कि बुद्ध काल में बुद्ध ने सभी भिक्षुओं को आदेश दिया कि वह धम्म का प्रचार करें।
इस दौरान लोगों को तमाम संकटों का सामना करना पड़ा। यह देख बुद्ध ने कहा कि सभी भिक्षु एक स्थान पर रहकर धम्म का प्रचार करें। जरूरत पर अपने गुरू से एक सप्ताह का अवकाश ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि वस्सावास के समय उपासकों को आष्टांगिक मार्ग का पालन करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही पंचशील के नियमों का पालन जरूरी है। इन तीन महीनों में शील और विनय का भी बहुत महत्व है।
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मुख्य अतिथि ईएसडी भास्कर ने वस्सावास के दौरान भिक्षुओं को भोजन कराया और सभी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ बाल्मीकि, डॉ. रामसागर यादव, धम्माचार्य तोताराम, ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान, बीडी नंद, रामलाल वर्मा, डॉ. नवनीत यादव, राजकुमार गौतम आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। बुद्धिस्ट सोसायटी के अध्यक्ष सुरेश पाल सिंह ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन वस्सावास शुरू होता है और अश्वनी पूर्णिमा को समाप्त होता है।
वेदपाल सुमन के संचालन में चले कार्यक्रम में रामसेवक गौतम ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर ब्रजेश कुमार, शैलेंद्र कुमार, नेवाजी, केदारनाथ टंडन, मुरारीलाल राजपूत, जगदीश प्रसाद, बाबू भगवंत राम, रमेश कुमार, विनोद कुमार, बाबूराम भारती, जगदीश चंद्र, कप्तान सिंह, रामजी दिवाकर, राम सागर, रोहित कुमार, सुनील कुमार, आलोक आदि मौजूद रहे।
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