मुरादाबाद : भ्रष्टाचार से मिलेगी राहत, पुलिस कसेगी नकेल
मुरादाबाद,अमृत विचार। थाने में पूछताछ को लेकर हाईकोर्ट के नये आदेश का दूरगामी असर होगा। पुलिस की जवाबदेही व जिम्मेदारी बढ़ेगी और महकमे के भ्रष्टाचार की नकेल कसेगी। ऐसी समझ रखने वाले कानून के जानकार हाईकोर्ट के नए आदेश की समीक्षा करने में जुट गए हैं। जनता व पुलिस पर कोर्ट के आदेश के होने …
मुरादाबाद,अमृत विचार। थाने में पूछताछ को लेकर हाईकोर्ट के नये आदेश का दूरगामी असर होगा। पुलिस की जवाबदेही व जिम्मेदारी बढ़ेगी और महकमे के भ्रष्टाचार की नकेल कसेगी। ऐसी समझ रखने वाले कानून के जानकार हाईकोर्ट के नए आदेश की समीक्षा करने में जुट गए हैं। जनता व पुलिस पर कोर्ट के आदेश के होने वाले असर का विश्लेषण शुरू हो गया है।
डा.भीमराव आंबेडकर पुलिस अकादमी के अतिथि प्रवक्ता व रिटायर्ड सीओ बीके सिंह ने जनता के नजरिए से कोर्ट के आदेश को महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश बाद पुलिस को कागजी तौर पर थाने में किसी भी व्यक्ति से पूछताछ करनी होगी। बगैर नोटिस के किसी भी व्यक्ति को पुलिस थाने नहीं बुला सकती। कोर्ट के आदेश से इंस्पेक्टर राज का खात्मा होगा। हालांकि, सीआरपीसी में अधिनियम है कि कोई भी इंस्पेक्टर अपने मातहत के जरिए किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए थाने बुला सकता है।
बताते हैं कि इंस्पेक्टर के इस अधिकार का पूर्व में दुरुपयोग होता रहा है। कुछ पुलिस कर्मी थानेदार को बगैर बताए किसी भी व्यक्ति को चौकी अथवा थाने में बुलाकर बैठा लेते थे। ऐसे में कई बार पुलिस पर भ्रष्टाचार तक का आरोप लगा। नाजायज तरीके से जनता के साथ थाने में मारपीट व उत्पीड़न तक के आरोप लगे। ऐसी घटनाओं से आम लोगों के बीच खाकी की छवि धूमिल होती थी। कोर्ट के आदेश बाद पुलिस को अब डाक्यूमेंटेशन करना होगा।
थानों की बढ़ेगी निगरानी
हाईकोर्ट के आदेश बाद थाने में आने जाने वालों की निगरानी भी बढ़ेगी। पूर्व सीओ ने थानेदारों को सुझाव देते कहा कि भ्रमण पर निकलने से पहले वह थाने पर नजर फेर लें। पता कर लें कि थाने में मौजूद अथवा बैठाया गया व्यक्ति किस कारण से आया है? उसकी आमद जीडी में दर्ज है या नहीं। यदि कोई भी व्यक्ति बगैर कारण थाने पर बैठा है, तो उसकी पड़ताल करें। पर्यवेक्षण अधिकारियों का भी दायित्व है कि थाने में मौजूदगी के कारणों की जरूर पड़ताल करें।
कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस की निरंकुशता पर नकेल कसेगी। बगैर एफआइआर अथवा थानेदार की अनुमति के अब किसी को भी थाने में नहीं बुलाया जा सकता। सात साल से कम सजा वाले मुकदमे में गिरफ्तारी पर पहले ही रोक लगी है। इसके बाद भी पुलिस खाकी के अधिकारों का दुरुपयोग करती थी। धनउगाही व उत्पीड़न के प्रकरण पूर्व में प्रकाश में आ चुके हैं। कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन करना होगा। तभी न्यायालय के आदेश का लाभ आम लोगों का मिलेगा। -पीके गोस्वामी, (अधिवक्ता)
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