मुरादाबाद: सत्र के पांच माह बीते मगर किताबों से खाली अधिकांश बच्चों के बैग

मुरादाबाद, अमृत विचार। सब पढ़ें, सब बढ़ें, शिक्षा की अलख जलाएंगे, बेहतर भारत बनाएंगे यह नारे बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों पर खरे साबित नहीं हो रहे हैं। जिले में 1408 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में पंजीकृत 2,05,000 छात्र-छात्राओं में से अधिकांश के बैग किताबों से खाली हैं। जबकि वर्तमान शैक्षणिक सत्र …
मुरादाबाद, अमृत विचार। सब पढ़ें, सब बढ़ें, शिक्षा की अलख जलाएंगे, बेहतर भारत बनाएंगे यह नारे बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों पर खरे साबित नहीं हो रहे हैं। जिले में 1408 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में पंजीकृत 2,05,000 छात्र-छात्राओं में से अधिकांश के बैग किताबों से खाली हैं। जबकि वर्तमान शैक्षणिक सत्र के पांच महीने बीतने में सिर्फ छह दिन बाकी हैं।
नगर क्षेत्र में 62 परिषदीय स्कूल हैं। इसमें 50,000 से अधिक छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं और 48 स्कूलों का स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कायाकल्प कराया जा रहा है। पहले चरण में 24 स्कूलों में डिजिटल क्लास की सुविधा भी शुरु हो गई है। मगर व्यवस्थागत खामियां सरकार से लेकर निचले स्तर तक बनी हैं। इससे इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा का दावा खोखला साबित हो रहा है। क्योंकि इन बच्चों के पास न तो समुचित किताबें हैं और न ही नई ड्रेस तथा बैग। कुछ विषयों की किताब चार दिन पहले ही पहुंची थीं तो कुछ की मंगलवार को आईं।
अभी इनका वितरण भी शुरु नहीं कराया जा सका है। पिछले दिनों जब लखनऊ से शिक्षाधिकारियों की टीम यहां के हालात देखने आई थी तो कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कुछ बच्चों के हाथ में किताब थमा कर वितरण की इतिश्री कर ली गई। तबसे लेकर आज तक विद्यार्थी पुस्तकों की राह देख रहे हैं। जो किताबें आई हैं उसमें 50 फीसदी बच्चों के हाथ तक भी नहीं पहुंच पाएंगी। ऐसे में तिमाही और छमाही परीक्षा से पहले इन छात्र-छात्राओं का ज्ञान कैसे बढ़ेगा यह सवाल खड़ा है ? शिक्षक भी किताबें न पाने से पढ़ाने में असहज हो रहे हैं।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने दिया था पुरानी किताबें लेने का आदेश
पिछले शैक्षणिक सत्र के आखिरी दिनों में परिषदीय विद्यालयों में किताबों का वितरण किया गया था। वर्तमान सत्र में समय से किताब न मिलने की स्थिति जानते हुए शासन के उच्चाधिकारियों ने पुरानी किताब एकत्रित करने का फार्मूला निकाला था। खुद महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने आदेश दिया था कि पिछले वर्ष के छात्रों से उनकी पुरानी किताब लेकर वर्तमान सत्र के बच्चों में वितरित कर दी जाए, जिससे पढ़ाई किसी तरह चलती रही। लेकिन अधिकांश बच्चों ने अपनी किताबें सहेजकर नहीं रखीं थी। जिससे फार्मूला पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया।
किसी कक्षा में एक विषय की तो किसी में आईं दो किताबें
स्कूलों में वितरण के लिए जो किताबें अभी तक आई हैं उसमें कक्षा एक में हिंदी की कलरव और कक्षा दो में हिंदी की किताब आई हैं। लेकिन अभी बांटी नहीं गई है। नगर शिक्षाधिकारी सुरेंद्र सिंह का कहना है कि किन विषयों की कितनी किताबें आई हैं। इसको देखने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।
नगर क्षेत्र के स्कूल में नहीं बंटी है एक भी किताब
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महानगर इकाई के अध्यक्ष राकेश कौशिक का कहना है नगर क्षेत्र में अभी तक किसी भी स्कूल में एक भी नई किताब वर्तमान सत्र में नहीं बंटी है। जो किताबें बच्चों के पास हैं वह पिछले साल के उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं से लेकर दी गई हैं। उन्हीं से किसी तरह पढ़ाकर काम चला रहे हैं। सरकार को बच्चों के भविष्य के प्रति गंभीरता दिखानी होगी।
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