UP Assembly elections 2022: सदन में ‘मौन’ रहे, चुनाव में प्रकट हुए ‘माननीय’

अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज उठी है। पूरे मंडल में राजनीति की बिसात सज गई है। पांच साल पहले 17वीं विधानसभा के लिए जिन्हें हमने चुनकर विधानसभा (सदन) में भेजा उनमें से अधिकांश माननीय सदन में मौन बने रहे। कुछ ने सदन की कार्यवाही में उपस्थिति दर्ज करने में भी संकोच किया। हां …
अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज उठी है। पूरे मंडल में राजनीति की बिसात सज गई है। पांच साल पहले 17वीं विधानसभा के लिए जिन्हें हमने चुनकर विधानसभा (सदन) में भेजा उनमें से अधिकांश माननीय सदन में मौन बने रहे। कुछ ने सदन की कार्यवाही में उपस्थिति दर्ज करने में भी संकोच किया। हां कुछ ऐसे माननीय भी हैं जोकि सदन में ज्यादा से ज्यादा उपस्थित रहे और अपने क्षेत्र की समस्याएं भी खूब उठाईं।
अमरोहा जिले की मंडी धनौरा विधानसभा सीट से 2017 में भाजपा के राजीव तरारा मंडल के ऐसे विधायकों में हैं जिनकी सदन में 92 प्रतिशत मौजूदगी रही लेकिन उन्होंने सदन में कोई सवाल नहीं उठाया। मुरादाबाद की बिलारी विधान सभा सीट से सपा विधायक फहीम इरफान की सदन में 85 प्रतिशत उपस्थिति रही। जिन्होंने सबसे ज्यादा 216 सवाल अपने क्षेत्र के विकास के लिए उठाए। अमरोहा की हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक महेंद्र सिंह खड़गवंशी ने 91 प्रतिशत सदन में उपस्थिति बनाए रखी और क्षेत्र के विकास के चार सवाल भी उठाए। अमरोहा के सपा विधायक पूर्व मंत्री महबूब अली ने 85 प्रतिशत तक सदन की कार्यवाही में मौजूदगी बनाए रखी, दो सवाल भी उठाए। संभल के सपा एमएलए इकबाल महमूद सदन में तो 86 प्रतिशत उपस्थिति बनाए रखे लेकिन अपने की कोई समस्या नहीं उठा सके।
मुरादाबाद देहात के सपा विधायक हाजी इकराम कुरैशी ने 80 फीसदी मौजूदी सदन में रखी तो छह सवाल भी उठाए। बिजनौर जिले की चांदपुर से भाजपा विधायक कमलेश सैनी ने 88 प्रतिशत सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई लेकिन सवाल कोई नहीं उठाया। बढ़ापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक सुशांत सिंह ने 83 प्रतिशत सदन की कार्यवाहियों में हिस्सा लिया लेकिन क्षेत्र की समस्या कोई नहीं उठाई। मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से सपा विधायक मोहम्मद रिजवान ने सदन की कार्यवाही में 79 प्रतिशत हिस्सा लिया और क्षेत्र की 45 समस्याएं भी उठाईं। चमरौआ (रामपुर) से सपा के नसीर खां 61 प्रतिशत सदन की कार्यवाही में मौजूद रहे फिर भी दो सवाल उठा सके।
शाहबाद से भाजपा विधायक राजबाला ने 77 प्रतिशत सदन की कार्यवाहियों में हिस्सा लिया लेकिन एक मात्र सवाल उठाया। मुरादाबाद के भाजपा विधायक रितेश गुप्ता ने 65 प्रतिशक सदन में उपस्थिति दर्ज कराई और महज एक सवाल उठा सके। कांठ के भाजपा विधायक राजेश कुमार चुन्नू ने 77 फीसदी सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेकर 21 सवाल उठाए। नजीबाबाद के सपा विधायक तस्लीम अहमद 67 प्रतिशत सदन में मौजूद रहकर तीन सवाल उठा सके। नगीना के सपा विधायक मनोज पारस ने 67 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराके 73 सवाल उठाए।
यह माननीय सदन में मौनी साधे रहे : रामपुर शहर से सपा विधायक डा. तजीन फात्मा, गुन्नौर से भाजपा के विधायक अजीत कुमार राजू ने सदन की कार्रवाई में 68 प्रतिशत भागेदारी तो की लेकिन कोई सवाल नहीं उठाया। ठाकुरद्वारा के सपा विधायक ने 73 प्रतिशत सदन में रहे लेकिन कोई सवाल नहीं किया। बिजनौर की भाजपा विधायक सुचि मौसम चौधरी ने सदन में 23 प्रतिशत मौजूदगी दी लेकिन कोई सवाल नहीं उठाया। धामपुर से भाजपा विधायक अशोक राणा ने सदन में 55 प्रतिशत मौजूदगी बनाए रखी परंतु सवाल उठाने में पिछड़ गए। नूरपुर से भी भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान 56 प्रतिशत सदन में रहे सवाल एक नहीं उठा सके। नहटौर के भाजपा विधायक ओमकुमार 59 प्रतिशत सदन में रहे लेकिन सवाल उठाने में पिछड़ गए।
ढाई साल सदन की हर कार्रवाई में मौजूद रहे आजम-अब्दुल्ला, फिर पहुंचे जेल : रामपुर से विधायक चुनने के बाद 2019 तक आजम खां सदन की कार्रवाई में मौजूद रहे। 44 फीसदी उनकी उपस्थिति रही। 2019 में सांसद चुने जाने और कई मुकदमों में आजम खां जेल चले गए थे। उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा उपचुनाव में शहर विधायक चुनी गईं। लेकिन फरवरी 2020 में उनके भी जेल जाने से सदन में उपस्थिति नहीं रही। स्वार से विधायक बने अब्दुल्ला ढाई साल तक दिसंबर 2019 तक 67 प्रतिशत सदन की कार्रवाई में मौजूद रहे। इसके बाद वे फरवरी 2020 कई मामलों में जेल चले गए थे। दिसंबर 2019 में हाईकोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उनकी विधायकी रद कर दी थी।