बाराबंकी: संदिग्ध लाल बैग मामले में आरोपी की मौत, घर के आंगन में फंदे से लटका मिला शव

रामसनेहीघाट/बाराबंकी, अमृत विचार। एक कोतवाल व हथौंधा चौकी चबा गए संदिग्ध लाल बैग प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में गठित पुलिस टीम जिस चेहरे को तलाश रही थी, उसका शव घर के आंगन में संदिग्ध हालात में फांसी के फंदे से लटका मिला। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया। वहीं, उसके घर पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। घटनाक्रम में इस नए मोड़ ने पुलिस टीम की तलाश पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जब आरोपी ने घर पर ही फांसी लगाई, तो टीम किसे तलाश करने में जुटी थी?
बताते चलें कि प्रमोद कुमार मिश्र उर्फ दिवाकर (45) पुत्र स्व. जगत पाल मिश्र निवासी कोटवा सड़क को घर के आंगन में फांसी के फंदे से लटके हुए परिजनों ने देखा। आनन-फानन में परिजनों ने दिवाकर को उतार कर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। उधर, दिवाकर की मौत के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने उसके घर फोर्स लगा दी, वहीं पोस्टमार्टम के दौरान भी तीन थानों की पुलिस मौजूद रही। कोरोना काल में पत्नी की मौत के बाद दिवाकर दो बच्चों के साथ रह रहा था।
संदिग्ध लाल बैग के मामले में दिवाकर का नाम इस तरह आया कि एक छात्र ने दिवाकर पर आरोप लगाया कि उसे मोबाइल व रुपये का लालच देकर बैग डिलीवरी को कहा गया। काम न हो पाने पर दिवाकर ने उसे व उसके साथी को बहाने से बैग समेत बुलाया और जमकर पिटाई कर दी। कहा यह गया कि छात्र ने बैग में संदिग्ध मादक पदार्थ होने के शक में अपने कदम रोक लिए। वहीं, दिवाकर के पक्ष का कहना था कि उसके पुत्र ने सोने-चांदी के जेवरों से भरा बैग अपने दोस्त को दे दिया था। वह बैग उसे वापस नहीं मिला। बहरहाल, दिवाकर की मौत से पुलिस की जांच में रोड़ा अटक गया है। अब संदिग्ध लाल बैग में क्या था, वह कहां और किसके पास है, की जांच थम गई प्रतीत हो रही।
संदिग्ध लाल बैग का रहस्य और गहराया
इस पूरे घटनाक्रम में संदिग्ध लाल बैग अभी भी रहस्य बना हुआ है। बैग अब तक नहीं मिल सका है। पुलिस दिवाकर के साथ ही उसके भाई सुधाकर की खोज में थी, पर दिवाकर ने जान दे दी। इसी लाल बैग प्रकरण की चर्चा वरिष्ठों से न करने को लेकर न सिर्फ कोतवाल हटाए गए, बल्कि हथौंधा चौकी प्रभारी व बीट इंचार्ज को निलंबित करने के साथ ही पूरी चौकी लाइन हाजिर कर दी गई। उधर, मृतक दिवाकर के परिजनों का कहना है कि लाल बैग पुलिस के हाथ लग गया, पर उसे परिवार के सुपुर्द नहीं किया गया, बल्कि दिवाकर को एनडीपीएस एक्ट में फंसाने की धमकी देकर गिरफ्तारी का दबाव बनाया जा रहा था। पुलिस के इस रवैये की शिकायत आईजीआरएस पर भी की जा चुकी है। इसी दबाव के चलते दिवाकर ने जान दे दी।
टिकरा की बदनामी ओढ़ कोटवासड़क बना तस्करी का गढ़
बाराबंकी अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कोटवा सड़क कस्बा अपनी ऐतिहासिक पहचान से ज्यादा अब मादक पदार्थों की तस्करी के केंद्र के रूप में जाना जाने लगा है। पड़ोसी देश नेपाल से लाई जाने वाली चरस और अन्य नशीले पदार्थों की खेप यहीं से होकर अन्य जिलों तक पहुंचती है। तस्करी के लिए बदनाम जैदपुर का टिकरा क्षेत्र अब पुरानी बात हो चुकी है।
बताते चलें कि पिछले एक साल में पुलिस ने कोटवा सड़क से कई किलो अफीम, स्मैक और मार्फीन बरामद की है। एनडीपीएस एक्ट के तहत यहां के दर्जनों तस्करों पर मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिससे यह साफ होता है कि रामसनेहीघाट कोतवाली का कोटवासड़क क्षेत्र अब भी तस्करी का गढ़ बना हुआ है। हालांकि तस्करों व खाकी के रिश्ते यहां खुलकर सामने नहीं आए, पर तस्करी से जुड़े एक नामी परिवार पर मेहरबानी अक्सर चर्चा में रही है।
11 दिसंबर 2024 को पुलिस को मिली सूचना पर कार्रवाई करते हुए संयुक्त पुलिस टीम ने कोटवा सड़क कस्बे में छापा मारकर 600 ग्राम स्मैक और 23.72 लाख रुपये नकद बरामद किए, लेकिन इसके ठीक दो हफ्ते बाद ही उसी मोहल्ले में एक मां-बेटी और बहू के पास से 750 ग्राम स्मैक पकड़ी गई। इस मामले में चौकी इंचार्ज समेत कई पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
पूछताछ में गिरफ्तार महिलाओं ने खुलासा किया कि वे दिवाकर नाम के व्यक्ति से स्मैक खरीदकर खिड़की से ग्राहकों को बेचती थीं। लोगों का कहना है कि कोटवा सड़क के तस्करों का नेटवर्क बड़े अधिकारियों और प्रभावशाली नेताओं तक फैला हुआ है। इससे पहले जिले में सबसे बदनाम क्षेत्र जैदपुर के टिकरा उस्मा और टिकरा मुर्तजा गांव थे, लेकिन अब कोटवा सड़क तस्करी का नया केंद्र बन चुका है।
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