बरेली: वायु प्रदूषण का स्तर पहुंचा तीन गुना से ज्यादा

 बरेली: वायु प्रदूषण का स्तर पहुंचा तीन गुना से ज्यादा

 बरेली,अमृत विचार। वायु प्रदूषण का बढ़ता ग्राफ आमजनों के लिए दिक्कतें पैदा कर रहा है। शहर की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है। इन दिनों आलम यह है कि शहर में वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से तीन गुना ज्यादा खराब स्थिति में पहुंच गया है। जो आने वाले समय में बीमारियों की सबसे …

 बरेली,अमृत विचार। वायु प्रदूषण का बढ़ता ग्राफ आमजनों के लिए दिक्कतें पैदा कर रहा है। शहर की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है। इन दिनों आलम यह है कि शहर में वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से तीन गुना ज्यादा खराब स्थिति में पहुंच गया है। जो आने वाले समय में बीमारियों की सबसे बड़ी वजह बन सकता है।

सरकारी महकमों के लिए भी हवा को सामान्य स्तर पर लाना और शुद्ध कर पाना बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से इस दिशा में पहल करते हुए वन विभाग, नगर निगम, जल निगम आदि सहित कुल 16 विभागों से कार्ययोजना तैयार करा कर शासन के माध्यम से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी ) को भेज दिया है। उम्मीद है कि कार्य योजनाएं अगर धरातल पर उतरीं तो कुछ हद तक भयावहता की ओर बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को कम किया जा सकता है।

समस्या और निपटने की योजना कार्ययोजना में शामिल

कार्ययोजना में स्थानीय समस्या, उसके कारण और उससे निपटने के सभी संभावित उपायों का भी विस्तार से जिक्र किया गया है। जानकारी के मुताबिक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर यह कार्ययोजना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की निगरानी में तैयार कराई गई है।

अधिकारियों के मुताबिक जिला स्तरीय कार्ययोजना में जिले की पर्यावरण से जुड़ी हर जानकारी को दिया गया है। जैसे यहां की कुल जनसंख्या, रोजाना निकलने वाला कचरा, ई- कचरा, प्लास्टिक कचरा, मलबा, कचरा प्रबंधन की स्थिति, लैंडफिल साइट, वाहनों की संख्या, वायु प्रदूषण का स्तर, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में स्थानीय निकायों की सक्रियता, साफ सफाई की व्यवस्था इत्यादि।

और बढ़ सकता है प्रदूषण का स्तर

बरेली कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. डा. आलोक खरे का कहना है कि कोविड के दौरान लॉकडाउन के दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर 40 से 60 पीपीएम (पार्टिकिल पर मिलियन) के बीच रहता था, जो सामान्य स्तर माना जाता है। जबकि पिछले 1 से 5 मार्च के बीच यह स्तर बढ़कर अब 130 पीपीएम से ज्यादा हो गया है।

यह 3 – 4 दिनों के भीतर 150 पीपीएम से भी ज्यादा हो सकता है। जबकि सामान्य तौर पर शुद्ध वायु के लिए सिर्फ 40 पीपीएम तक ही इस स्तर को रहना चाहिए। बताते हैं मौसम में तेजी से बदलाव और तेज हवाओं के चलने से यह परिणाम देखने को मिल रहे हैं। मुख्य तौर पर शहर में निर्माण कार्य के कारण उड़ने वाली धूल वायु का सबसे ज्यादा दूषित करती है। ऐसे में जरूरी है कि शहर में ज्यादा से ज्यादा पौध रोपण किया जाए। शहर के अत्यधिक ट्रैफिक वाले हिस्से और निर्माण कार्य वाले हिस्सों में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है।

कार्ययोजना तैयार करा कर शासन को भेज दी गई है। इसके अलावा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समय – समय पर संबंधित निर्माणदायी संस्थाओं को निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि निमार्ण कार्य के दौरान प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम रखे जाएं।
— शशि बिंदकर, सहायक अभियंता, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बरेली