अयोध्या: आपका वोट किसी और ने डाला तो फिक्र न करें, बूथ पर मांगिये टेंडर मतदान का हक

अयोध्या। विधानसभा चुनाव में मतदान को लेकर कई ऐसी व्यवस्था है, जिसकी जानकारी के अभाव में बहुत लोग मतदान से वंचित रह जाते हैं। चौकसी के कड़े इंतजाम के बाद भी कुछ लोग दूसरे के नाम पर वोट डाल देते हैं। वास्तविक मतदाता जब वोट डालने पहुंचता है तो पता चलता है कि उसका वोट …
अयोध्या। विधानसभा चुनाव में मतदान को लेकर कई ऐसी व्यवस्था है, जिसकी जानकारी के अभाव में बहुत लोग मतदान से वंचित रह जाते हैं। चौकसी के कड़े इंतजाम के बाद भी कुछ लोग दूसरे के नाम पर वोट डाल देते हैं। वास्तविक मतदाता जब वोट डालने पहुंचता है तो पता चलता है कि उसका वोट पड़ चुका है। ऐसे में वास्तविक मतदाता मायूस होकर बूथ से लौट जाता है। अगर आपके सामने ऐसी परिस्थितियां आती हैं तो चिंता मत करिए।
आप बूथ के पीठासीन अधिकारी से टेंडर वोट का हक मांगिए। प्रमाण दीजिए कि आपका वोट किसी दूसरे ने फर्जी तरीके से दिया है। पीठासीन अधिकारी जांच-पड़ताल के बाद आपको टेंडर वोट डालने का मौका देंग। इस व्यवस्था में आप ईवीएम से वोट नहीं डाल पाएंगे। आपको बैलेट पेपर मिलेगा। अपनी मनपंसद के उम्मीदवार को वोट देने के बाद पीठासीन अधिकारी आपके मतपत्र को लिफाफे में सील करेंगे। साथ ही रजिस्टर 17-ए में उसका रिकार्ड दर्ज करेंगे।
जानिए क्या होता है टेंडर वोट
किसी अन्य के द्वारा किए गए फर्जी मतदान के बाद असली आकर यह दावा करता है कि असली वोटर तो वह है, तो पीठासीन पदाधिकारी जांच-पड़ताल के बाद ईवीएम से वोट नहीं करने देकर असली मतदाता को बैलेट पेपर देगा। असली मतदाता मत पत्र पर वोट देकर उसे पीठासीन अधिकारी को सौंप देगा। पीठासीन मतपत्र को लिफाफे में सील कर उसे रख लेगा। रजिस्टर में उस वोट के रिकार्ड को दर्ज कर लेगा। ऐसे ही वोट को टेंडर वोट कहते हैं।
अगर कोई आपको फर्जी वोटर कहे तो करिए चैलेंज
पोलिंग लिंग बूथ पर इस तरह की बात अक्सर देखने को मिलती है कि वोट डालने गए मतदाता को फर्जी वोटर कह कर एजेंट शोर मचाते हैं। इस स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है। वोटर असली है या फर्जी, चुनाव आयोग इसका फैसला महज दो रुपए में मौके पर ही करा लेगा। ऐसी परिस्थिति में चैलेंज वोट की व्यवस्था है। पोलिंग एजेंट पीठासीन अधिकारी के पास दो रुपया का शुल्क जमा कर आपत्ति दर्ज कराएगा। तब पीठासीन अधिकारी सुनवाई करेगा। वह वोटर से उसका नाम, पिता का नाम, पता, घर में कितने वोटर हैं आदि कई बिंदुओं के बारे में पूछताछ करेगा। वोटर के बारे में गवाही भी लेगा।
यदि यह साबित हो जाएगा कि जिसके उपर फर्जी वोटर का आरोप लगा है वही असली वोटर है तो उसे वोट डालने का मौका मिलेगा। इसी वोट को चैलेंज वोट कहते हैं। इस तरह का वोट ईवीएम से नहीं बल्कि मत पत्र से पड़ेगा। पोलिंग एजेंट की जमा की गई दो रुपए चैलेंज फीस आयोग जब्त कर लेगा। उसकी आपत्ति खारिज कर दी जाएगी। यदि पोलिंग एजेंट का आरोप सच साबित होगा तो उसे दो रुपए फीस वापस कर दी जाएगी। पीठासीन अधिकारी पुलिस को बुलाकर फर्जी वोटर को सौंप देगा।
जानिए क्या है टेस्ट वोट
टेस्ट वोट का यह मतलब है कि यदि कोई मतदाता मतदान करने के बाद यह शिकायत किया कि वह ईवीएम से जिसको वोट दे रहा है उसका वोट नहीं मिल रहा है। किसी और प्रत्याशी को वोट मिल रहा है। ऐसी स्थिति में वीवी पैट मशीन से पर्ची कट कर बाक्स में गिर जाती है। केवल शिकायत रह जाती है। ऐसी स्थिति में टेस्ट वोट की व्यवस्था है। शिकायत के बाद पीठासीन अधिकारी कुछ जिम्मेदार के साथ अपने सामने दोबारा वोट डलवाएंगे। टेस्ट वोट सही प्रत्याशी को मिलने के बाद पीठासीन अधिकारी उस मतदाता का नाम, क्रमांक,किस प्रत्याशी को वोट पड़ा आदि के डिटेल को बैलेट पेपर एकाउंट में दर्ज किया जाएगा। क्योंकि एक ही वोटर दो बार वोट दे चुका है। गिनती के दौरान बैलेट पेपर एकाउंट के आधार पर उस प्रत्याशी का एक वोट कम कर दिया जाएगा। अफवाह फैलाने पर कार्रवाई भी हो सकती है।
शिकायत पर पड़ेगा सेल्फ वोट
पोलिंग बूथ पर यदि मतदाता मतदान करने के बाद शिकायत करता है कि बटन दबाने के बाद वीवीपैट से पर्ची नही कटी या हैंग हो गया तब पीठासीन अधिकारी ईवीएम का टोटल बटन दबाकर शिकायत की जांच करेंगे। यदि 17ए रजिस्टर से कम वोट दिखता है तब वोटर की शिकायत को सच माना जाएगा। उसका वोट सामने डलवाया जाएगा। यदि वही समस्या आती है तो वीवीपैट मशीन को बदलने जैसी कदम उठाया जा सकता है।
विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग के गाइडलाइन के मुताबिक वोट को लेकर कई व्यवस्था है। बूथ पर मतदाताओं की शिकायत पर पीठासीन अधिकारी नियम के मुताबिक टेंडर वोट, चैलेंज वोट, सेल्फ वोट, टेस्ट वोट कराएंगे। सभी प्रक्रिया को अपने दस्तावेज में दर्ज करेंगे…अमित सिंह, उप जिला निर्वाचन अधिकारी/एडीएम।
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