प्रयागराज: तकनीकी कारणों से मृतक कर्मचारियों के उत्तराधिकारियों को चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति हेतु परेशान करना उचित नहीं- HC

प्रयागराज: तकनीकी कारणों से मृतक कर्मचारियों के उत्तराधिकारियों को चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति हेतु परेशान करना उचित नहीं- HC

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति के मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि यदि किसी कर्मचारी की उपचार के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी/उत्तराधिकारियों को तकनीकी कारणों से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। प्रतिपूर्ति के लिए चिकित्सा बिल प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित ऐसा नियम कभी-कभी उस स्थिति में सख्ती से लागू किया जा सकता है, जब कर्मचारी जीवित हो, लेकिन उत्तराधिकारियों के मामले में जहां कर्मचारी की उपचार के दौरान मृत्यु हो जाती है, ऐसे नियमों को चिकित्सा बिलों के वास्तविक दावों की प्रतिपूर्ति के रास्ते में नहीं आने देना चाहिए। 

कोर्ट ने माना कि दावों के लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित करने वाला प्रावधान निर्देशिका में है, लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो उक्त अवधि के बाद उठाए गए सभी दावों पर अनिवार्य रूप से रोक लगाता हो। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने मैमुना बेगम की याचिका को स्वीकार कर उन्हें अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग, रायबरेली के समक्ष पुनः चिकित्सा बिल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया तथा संबंधित प्राधिकारी को कानून के अनुसार 2 हफ्तों के अंदर बिलों का भुगतान करने का निर्देश दिया। 

मामले के अनुसार याची विधवा ने अपने पति के चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति के लिए नियोक्ता से संपर्क किया। उसका दावा सीमा द्वारा वर्जित होने के कारण खारिज कर दिया गया था। इसके बाद याची ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल कर कोर्ट को बताया कि वह एक विधवा होने के नाते अपने पति की मृत्यु से सदमे में है और वह अपने ठीक होने के बाद ही प्राधिकरण से संपर्क कर सकती है। याची का दावा निर्धारित नियमों के अनुसार 90 दिनों के भीतर दाखिल न किए जाने के आधार पर खारिज कर दिया गया था।

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