हल्द्वानी: सिस्टम से हारी विधवा महिला ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु

राजेश श्रीवास्तव, हल्द्वानी। सात साल पहले पति गुजर गए, उनके जाने के बाद उनके हक के रुपए की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग है कि सालों से केवल गुमराह कर रहा है। पैरों से लाचार हूं, इसलिए चल फिर नहीं सकती। दोनों बेटे ग्रेजुएट हैं, लेकिन दोनों ही बेरोजगार। हमारे सामने भुखमरी के …
राजेश श्रीवास्तव, हल्द्वानी। सात साल पहले पति गुजर गए, उनके जाने के बाद उनके हक के रुपए की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग है कि सालों से केवल गुमराह कर रहा है। पैरों से लाचार हूं, इसलिए चल फिर नहीं सकती। दोनों बेटे ग्रेजुएट हैं, लेकिन दोनों ही बेरोजगार। हमारे सामने भुखमरी के हालात हो गए हैं, क्या कर सकते हैं, खाने के लिए रुपए नहीं हैं, ऐसे में इलाज कराना तो दूर की बात है। बस अब इच्छामृत्यु का ही विकल्प सामने रह गया है… अपने बेटे के कंधों का सहारा लेकर एसडीएम कोर्ट हल्द्वानी परिसर में पहुंची लाचार पुष्पा देवी के यही बोल थे…वह एसडीएम साहब के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम एक प्रार्थना पत्र देने आईं थी, जिसमें उन्होंने अपने लिए इच्छामृत्यु की इजाजत देने की गुहार लगाई थी।
सोमवार को एसडीएम कोर्ट परिसर में काफी चहलपहल थी। एसडीएम मनीष कुमार से मिलने के लिए भवाली के मेहरागांव ग्रामसभा के धुलई गांव से 57 वर्षीय पुष्पा देवी आईं थीं। चलने-फिरने में असमर्थ और बीमार अपने दोनों बेटों को साथ लाईं थीं। मां को अपने कांधे पर लाऐ बड़े बेटे के चेहरे पर बेरोजगारी के दंश साफ झलक रहे थे। पुष्पा कोहली ने रो-रो कर सारा हाल सुना दिया।
= पत्र में बयां किया दर्द =
एसडीएम को दिए प्रार्थना पत्र में पुष्पा ने अपनी व्यथा लिखी थी, जिसमें बताया था कि उनके पति स्व० राम कोहली लखनऊ में राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड में चतुर्थ श्रेणी के पद कार्यरत थे। जनवरी 2015 को सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। परंतु कई प्रार्थना पत्र दिए जाने के बाद भी अभी तक विभाग की ओर से प्रार्थिनी को पति की ग्रेच्युटी, फंड, लंबित देयक, नियमानुसार पेंशन और आश्रित को नौकरी नहीं दी गई है उल्टा उसे और दोनों बेटों को गुमराह किया जा रहा है। बार-बार विभाग के चक्कर काट रहे हैं तो उन्हें हर बार टरका दिया जाता है। हर माह महज 1,184 रुपए पेंशन के मिलते हैं, वो भी नियमित नहीं मिलते। ऐसे मे उनका आर्थिक, मानसिक, शारीरिक उत्पीड़न हो रहा है। अब सिस्टम से हार चुकी हैं इसलिए वह अपनी जिंदगी से भी हार मानकर इच्छा मृत्यु मांग रही हैं।