बरेली: कारगिल पर विजय पताका लहराने की दास्तां सुनाता वार म्यूजियम

दाबरेली, अमृत विचार। बरेली के जाट रेजीमेंट सेंटर का वार म्यूजियम। ऐसी जगह जहां का जर्रा-जर्रा बिना एक शब्द कहे वीरों की शौर्य गाथा खुद ही सुनाता है। हर ईंट से देश की माटी की सौंधी खुशबू आती है। लिखी हर इबारत रणबांकुरों का स्वर्णिम इतिहास बयां करती है। वार म्यूजियम यानी युद्ध संग्रहालय में …
दाबरेली, अमृत विचार। बरेली के जाट रेजीमेंट सेंटर का वार म्यूजियम। ऐसी जगह जहां का जर्रा-जर्रा बिना एक शब्द कहे वीरों की शौर्य गाथा खुद ही सुनाता है। हर ईंट से देश की माटी की सौंधी खुशबू आती है। लिखी हर इबारत रणबांकुरों का स्वर्णिम इतिहास बयां करती है। वार म्यूजियम यानी युद्ध संग्रहालय में पहले विश्व युद्ध से लेकर कारगिल तक का इतिहास है।
जाट रेजीमेंट म्यूजियम में पाकिस्तानियों की वो वर्दी, उपकरण और हथियार भी हैं, जो युद्ध के दौरान भारतीय सरजमीं पर मिले। कारगिल युद्ध में अदम्य साहस दिखाने वाले वीर जवानों की फोटो और उनके हैरतंगेज किस्से, लोगों को रोमांचित करने के साथ देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत करता है। युद्ध स्मारक में कारगिल युद्ध से जुड़ी कुछ चीजें के बारे में।
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मशीनगन जिसने बनाया दर्जनों को शिकार
वार म्यूजियम में एक 7.62 मशीन गन रखी है। अधिकारियों के अनुसार अब लाइट मशीनगन में काफी उन्नत हथियार आ गए हैं लेकिन सन 1999 में पाकिस्तान के पास मौजूद इस मशीनगन से एक मिनट में करीब 250 राउंड फायर निकलते थे। करीब साढ़े सात इंच की गोली किसी की भी जान लेने के लिए काफी थी। इस मशीन गन ने बंकर से भारतीय जवानों को काफी नुकसान पहुंचाया। हालंकि हमारे जांबाजों ने हार नही मानी और दुशमन के अंकर ध्वस्त भी किए।
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