बरेली: चुनावी साल में बिन मंत्री के बरेली में होर्डिंग्स की राजनीति शुरू

बरेली, अमृत विचार। आठवीं बार के सांसद संतोष गंगवार की मोदी मंत्रिमंडल से विदाई होने के बाद बरेली की राजनीति में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। चुनावी साल में बरेली के बिन मंत्री होने पर अब दिल्ली और उत्तराखंड के मंत्रियों का गुणगान आजकल शहर के लोगों में चर्चा का विषय बना है। …
बरेली, अमृत विचार। आठवीं बार के सांसद संतोष गंगवार की मोदी मंत्रिमंडल से विदाई होने के बाद बरेली की राजनीति में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। चुनावी साल में बरेली के बिन मंत्री होने पर अब दिल्ली और उत्तराखंड के मंत्रियों का गुणगान आजकल शहर के लोगों में चर्चा का विषय बना है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुछ नेता अपनी पकड़ मजबूत दिखाने के लिए बाहरी मंत्रियों का सपोर्ट होने का दिखावा कर रहे हैं।

हाल ही में उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने हैं। धामी कैबिनेट में रेखा आर्य को फिर कैबिनेट मंत्री बनाने और 7 जुलाई को मोदी कैबिनेट में भूपेंद्र सिंह यादव के केंद्रीय मंत्री बनाए जाने पर पीलीभीत बाईपास, संजय नगर, डेलापीर, राजेंद्र नगर समेत शहर के कई अन्य हिस्सों में होर्डिंग्स और फ्लैक्स लगवाए हैं।
मंत्रियों को शुभकामनाएं देने के साथ नेता भी खुद को चमकने की राजनीति करते दिख रहे हैं। रेखा आर्य मूलरूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं लेकिन वह पप्पू गिरधारी की पत्नी हैं। पप्पू गिरधारी का सुरेश शर्मा नगर में आवास है। ऐसे में रेखा आर्य के समर्थकों ने पीलीभीत रोड पर हर दो सौ मीटर के दायरे में होर्डिंग्स लगाए हैं।

उनमें एक ही बात कॉमन है, वह है बिथरी चैनुपर विधानसभा से जुड़ा मामला। होर्डिंग्स रुहेलखंड विश्वविद्यालय गेट और डोहरा चौराहे के दोनों साइडों में लगे हैं। होर्डिंग्स से जहां एक ओर शहर की खूबसूरती खराब हो रही है। दूसरी ओर नयी राजनीति को जन्म दे रही है। कुछ नेता बिथरी में अपनी जमीन मजबूत करने की तैयारी में जुटे हुए हैं।