उत्तराखंड मांगे भू-कानून: हरदा बोले- देवभूमि को बचाने के लिए भूमिया देवता का करना होगा आह्वान

हल्द्वानी, अमृत विचार। देवभूमि उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर सोशल मीडिया पर अब लोगों ने जंग छेड़ दी है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई सामाजिक संगठनों का इसे समर्थन भी मिलने लगा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि वह अपने आने वाली पीढ़ी के लिए एक अच्छा उत्तराखंड देकर जाना चाहते …
हल्द्वानी, अमृत विचार। देवभूमि उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर सोशल मीडिया पर अब लोगों ने जंग छेड़ दी है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई सामाजिक संगठनों का इसे समर्थन भी मिलने लगा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि वह अपने आने वाली पीढ़ी के लिए एक अच्छा उत्तराखंड देकर जाना चाहते हैं, इसलिए वह अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिससे उत्तराखंड के पहाड़ और जंगल सुरक्षित रह सकें।
समस्या ये है कि आज पहाड़ में लगातार अन्य राज्यों के लोगों द्वारा जमीन खरीदी जा रही है, जिससे एक समय ऐसा आने का भी डर है, जब उत्तराखंड का मूल निवासी ही भूमिहीन हो जाएगा। इसलिए समय रहते कड़े कदम उठाने होंगे। सोशल मीडिया पर इसे लेकर हैशटैग भी काफी ट्रेंड हो रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले राज्य में भू-कानून और चकबंदी का मामला एक बार फिर जोर पकड़ रहा है। कई सामाजिक संगठन इसे चुनावी मुद्दा बनाने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सशक्त भू-कानून बने, ताकि राज्य में बाहरी लोग जमीन न खरीद सकें। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 में जब संशोधन किया गया तब केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ही एकमात्र विधायक थे, जिन्होंने इसका विरोध किया था।
इसे पहाड़ में जमीनों की खुली लूट करने वाला विधेयक करार दिया था। पड़ोसी राज्य हिमाचल में कानूनी प्रावधानों के चलते कृषि भूमि की खरीद लगभग नामुमकिन है। सिक्किम में भी भूमि की बेरोकटोक बिक्री पर रोक के लिए बीते वर्ष ही कानून बना है। मेघालय का कानून भी भूमि बिक्री पर पाबंदी लगाता है। जब दूसरे हिमालयी राज्यों में कानून हैं तो फिर उत्तराखंड में क्यों नहीं? राज्य में एक सशक्त कानून लाया जाना चाहिए।
भू-कानून को लेकर हरदा ने किया ट्वीट-
हमारी देवभूमि में भूमिया देवता का महत्व आज का नहीं, प्राचीन काल का है। भूमिया देवता ने ही आज तक हमारी भूमि, हमारा परिवार- गाँव, हमारी कला और संस्कृति को संरिक्षत रखा।
आज उन्हीं भूमिया देवता का आह्वाहन कर हमें उत्तराखंड और उत्तराखंडियत को बचाना है।#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून pic.twitter.com/Guboeia8aU— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) July 5, 2021