बरेली: बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी हो तो निकाह न पढ़ाएं मौलवी

बरेली: बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी हो तो निकाह न पढ़ाएं मौलवी

अमृत विचार, बरेली। दहेज प्रताड़ना से तंग आकर अहमदाबाद की रहने वाली आयशा की मौत से हर कोई टूट गया है। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर बिना दहेज के शादी की मांग भी तेजी से उठने लगी है। इसी क्रम में अब विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत से भी बिना दहेज के निकाह …

अमृत विचार, बरेली। दहेज प्रताड़ना से तंग आकर अहमदाबाद की रहने वाली आयशा की मौत से हर कोई टूट गया है। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर बिना दहेज के शादी की मांग भी तेजी से उठने लगी है। इसी क्रम में अब विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत से भी बिना दहेज के निकाह करने की अपील की जा रही है।

दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने देशभर के मस्जिदों के इमाम और जिम्मेदार लोगों से अपील की है कि जहां बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी हो वहां निकाह न पढ़ाएं।

इस्लाम में बढ़ती सामाजिक बुराइयों पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने चिंता जताते हुए देशभर के सभी काजी और मौलवियों से अपील की है कि जिन शादियों में बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी हो उनके निकाह हरगिज न पढ़ाएं। देखा जा रहा है कि शादी के नाम पर गैर शरई कामों को अंजाम दिया जा रहा है।

लड़की वालों से दहेज की मांग की जा रही है जिसे किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। दहेज की वजह से गरीब लड़कियां घरों में बैठी हैं। डीजे, ढोल-बाजे और आतिशबाजी इस्लाम में नाजायज और हराम है। इस पर पांबदी लगाने का सामाजिक मकसद फिजूलखर्ची रोकने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण और रास्तों में आम लोगों को होने वाली परेशानियां कम करना है।

दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन की अपील को सोशल मीडिया के माध्यम से देशभर के उलेमा को भेजा जा रहा है। इस मसले पर काजी और मौलवियों की एक बैठक दरगाह पर बुलाई जाएगी जिसमें अपील की जाएगी कि उलेमा, काजी और मौलवी देशभर में सज्जादानशीन का पैगाम उर्स की महफिलों, जलसों और जुमे की नमाज में आम लोगों तक पहुंचाएं।