हल्द्वानी: अबकी बार होली में गालों पर दिखेगी हर्बल रंगों की लाली

हल्द्वानी, अमृत विचार। जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की… कुमाऊं की होली अपनी विशिष्टता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां केवल होली के दिन ही हर्षोल्लास देखने को नहीं मिलता जबकि करीब तीन महीने पहले से रसिक होली गायन शुरू कर देते हैं। वहीं, इस बार की होली में हर्बल रंग …
हल्द्वानी, अमृत विचार। जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की… कुमाऊं की होली अपनी विशिष्टता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां केवल होली के दिन ही हर्षोल्लास देखने को नहीं मिलता जबकि करीब तीन महीने पहले से रसिक होली गायन शुरू कर देते हैं। वहीं, इस बार की होली में हर्बल रंग और भी चार चांद लगा देंगे। यह हर्बल रंग मैदा समेत हल्दी, नींबू के छिलके और चुकंदर से रस से तैयार किए जा रहे हैं।
होली पर्व भारत देश में ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है। वसंत ऋतु शुरू होते ही होली का आगाज शुरू हो जाता है। होली के रंगों को और खूबसूरत बनाने के लिए भीमताल क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सभा गेठिया में चेतना और भिटौली स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हर्बल कलर तैयार कर रही हैं। इन दोनों समूह में करीब 14 महिलाएं काम कर रही हैं। महिलाओं का कहना है कि हर्बल कलर बनाने के साथ-साथ हम को रोजगार भी मिल जाता है, जिससे आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनती है। इस महिला समूह में हेमलता बिष्ट, रक्षिता बोरा, सीमा बगड़वाल, चंपा बोरा, तारा बगड़वाल आदि महिलाएं हर्बल कलर तैयार कर रही है।
पिछले साल गेहूं के आटे से बनाया था रंग
हल्द्वानी। चेतना स्वयं सहायता समूह की सचिव विनीता बोरा ने बताया कि आदमी खुद से ही बार-बार सीखता है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष गेहूं के आटे से हर्बल कलर तैयार किए गए थे, जोकि कलर थोड़ा मोटा हो गया था। इस बार मैदा का प्रयोग किया गया है, इससे कलर और अच्छा हो गया है।
20 फरवरी को पांच आउटलेट पर बिकेगा रंग
हल्द्वानी। चेतना स्वयं सहायता समूह की सचिव विनीता बोरा ने बताया कि उनके समूह को ब्लॉक स्तर पर पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने बताया कि 20 फरवरी तक सरस मार्केट हल्द्वानी समेत सातताल, नौकुचियाताल, नैनीताल और भीमताल के पांच आउटलेट्स में रंगों की बिक्री शुरू हो जाएगी। ऐसे में हर्बल कलर खरीदने वाले लोग आउटलेट्स पहुंच कर खरीददारी कर सकते हैं।
पूरी तरह से सुरक्षित हैं हर्बल कलर
हल्द्वानी। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि यह रंग पूरी तरह से प्राकृतिक चीजों से बना है। इसमें मैदा, हल्दी, नींबू के छिलके और चुकंदर समेत गुलाब के फूल, गेंदा के फूल, गुलदावरी और संतरा का भी उपयोग किया गया है। वहीं, एसटीएच के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अग्रवाल ने कहा कि जिन चीजों से यह रंग बनाया जा रहा है। ऐसे में किसी को भी त्वचा संबंधित रोग नहीं होंगे।