अल्मोड़ा: हिमालयी छेड़छाड़ का नतीजा है ऋषिगंगा में आई आपदा
अल्मोड़ा, अमृत विचार। जोशीमठ के पास ऋषिगंगा नदी में आई आपदा हिमालय से छेड़छाड़ का नतीजा है। हिमालयी क्षेत्रों में इस तरह की तमाम घटनाओं के बाद भी यहां हजारों बांध प्रस्तावित करना भविष्य की किसी बड़ी चुनौती की ओर इशारा कर रहा है। यह बात गढ़वाल के बांध विरोधी आंदोलनों में सक्रिय रहे उलोवा …
अल्मोड़ा, अमृत विचार। जोशीमठ के पास ऋषिगंगा नदी में आई आपदा हिमालय से छेड़छाड़ का नतीजा है। हिमालयी क्षेत्रों में इस तरह की तमाम घटनाओं के बाद भी यहां हजारों बांध प्रस्तावित करना भविष्य की किसी बड़ी चुनौती की ओर इशारा कर रहा है।
यह बात गढ़वाल के बांध विरोधी आंदोलनों में सक्रिय रहे उलोवा के प्रवक्ता दयाकृष्ण कांडपाल ने कही है। उन्होंने कहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी और हिमस्खलन कोई नयी बात नहीं है। इसी बात को लोगों को समझाने के लिए उलोवा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के नेतृत्व में गढ़वाल मंडल में पूर्व में कई पदयात्राओं का आयोजन कर बांधों के संभावित खतरों से आगाह भी किया गया था। उन्होंने बताया कि गढ़वाल मंडल में बांध विरोधी आंदोलनों में कई लोगों ने जेल में यातनाएं भी झेली, लेकिन इसके बाद भी सरकारों को कुछ समझ में नहीं आया।
अधिवक्ता जगत रौतेला ने कहा कि भविष्य में हिमालयी क्षेत्रों में प्रस्तावित परियोजनाओं पर पर्यावरण हित को देखते हुए रोक लगानी चाहिए। कुणाल तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि रंगकर्मी गिरीश तिवारी गिर्दा ने पहले ही अपने गीतों के माध्यम से पानी के व्यापारियों को आगाह किया था। लेकिन सरकार और जिम्मेदार लोगों ने इन चेतावनियों पर कभी गौर नहीं किया। जिसके परिणाम स्वरूप जोशीमठ के पास यह घटना सामने आई और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। बैठक में अजय मित्र बिष्ट, जंग बहादुर थापा समेत अनेक गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।