मुरादाबाद: जर्जर भवनों पर नोटिस देने के बाद भूल गया नगर निगम, हादसे का डर

मुरादाबाद: जर्जर भवनों पर नोटिस देने के बाद भूल गया नगर निगम, हादसे का डर

मुरादाबाद, अमृत विचार। गजियाबाद के मुरादनगर में श्मशानघाट पर हुई घटना के बाद भी प्रशासन व नगर निगम कोई सबक लेता नहीं दिख रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि शहर में डेढ़ सौ भवनों की हालत खस्ताहाल है, इसकी जानकारी होने के बावजूद नगर निगम ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की …

मुरादाबाद, अमृत विचार। गजियाबाद के मुरादनगर में श्मशानघाट पर हुई घटना के बाद भी प्रशासन व नगर निगम कोई सबक लेता नहीं दिख रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि शहर में डेढ़ सौ भवनों की हालत खस्ताहाल है, इसकी जानकारी होने के बावजूद नगर निगम ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। मात्र नोटिस जारी कर यह विभाग इन भवनों को भूल गया है।

दोबारा सर्वे के लिए वह बरसात के मौसम का इंतजार कर रहा है और फिलहाल हो रही बारिश को खतरा नहीं मान रहा है। चिंता की बात यह है कि नगर निगम की इस बेखबरी का खामियाजा कहीं किसी परिवार के लिए दर्दनाक हादसा न बन जाए, इसके लिए प्रशासन भी चिंतित होता नहीं दिख रहा है।

नगर निगम की ओर से जो मानक बताए जाते हैं, उसके अनुसार एक मकान या भवन निर्माण की आयु 40 से 50 साल तक होती है। उसके बाद उसकी हालत रहने लायक नहीं रहती है। ऐसे भवनों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। निगम के निर्माण विभाग के इंजीनियर्स शहर में सर्वे कर कमजोर मकानों को चुनते हैं। यदि वे कमजोर हैं, या फिर उसको बने हुए चालीस से पचास साल हो गए हैं तो संपत्ति मालिक को नोटिस जारी किया जाता है।

जिसमें उसे बताया जाता है कि उनके भवन की हालत जर्जर है और उसे कंडम घोषित किया जाता है। इसलिए इसे स्वत: ही ध्वस्त करा दें। यदि तय समय तक वे ऐसा नहीं करते हैं तो नगर निगम यह कार्रवाई करता है। पर शहर का यह तंत्र केवल नोटिस कार्रवाई कर औपचारिक भूमिका निभा रहा है। न ही वे भवन अब तक ध्वस्त किए गए और न ही इस निगम की ओर से कोई सख्त कार्रवाई होती दिखी।

-कांठ रोड स्थित हिमगिरी में एक दीवार की हालत इतनी खराब है कि वह कभी भी गिर सकती है। काफी लंबी दीवार की इस हालत पर निगम की कोई नजर नहीं। इस दीवार की ईंटों को मिट्टी से चिपकाया गया है।

-कोर्ट रोड पर जिला सहकारी बैंक के पास बालाजी मंदिर है। यहां पर एक भवन काफी जर्जर हालत में देखा गया। इसकी दीवार से सीमेंट उधड़ रहा था।

-चौरासी घंटा से किसरौल रोड पर एक भवन खंडहर हालत में था। आधा गिर चुका था, शेष आधे की हालत भी नाजुक थी।

-नागफनी से किसरौल रोड पर जो भवन था, उसकी हालत भी काफी खराब थी। कई साल पहले यह भवन बना था, पर अभी तक इसे गिराकर नया भवन नहीं बनाया गया है।

कंडम होने की शर्त
भवन निर्माण हुए 40 व 50 साल होने पर
इंजीनियरर्स की जांच में कमजोर पाए जाने पर
भवन का कोई भाग गिरता है तो जांच के बाद उसे कंडम किया जा सकता है

बरसात के मौसम में सर्वे किया जाता है। जिन भवनों की हालत जर्जर या फिर उनके निर्माण का समय 40 से 50 वर्ष तक हो चुका होता है तो भवन स्वामि को नोटिस जारी किया जाता है। डेढ़ सौ लोगों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। कुछ लोग स्टे ले आते हैं, इसलिए कार्रवाई नहीं हो पाती है। फिलहाल कोई सर्वे नहीं किया जा रहा है।-वीके पाल सिंह, अधिशासी अभियंता, निर्माण विभाग, नगर निगम