उत्तराखंड: अब प्राथमिक के बच्चों की थाली में शहद भी होगा शामिल

हरीश उप्रेती, हल्द्वानी। अब प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के स्कूल के बच्चों की मध्याह्न भोजन थाली में शहद को भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा डॉ. मुकुल सती की ओर से समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों से बाकायदा एक पत्र जारी किया गया है। अपर निदेशक डॉ. सती के मुताबिक …
हरीश उप्रेती, हल्द्वानी। अब प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के स्कूल के बच्चों की मध्याह्न भोजन थाली में शहद को भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा डॉ. मुकुल सती की ओर से समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों से बाकायदा एक पत्र जारी किया गया है।
अपर निदेशक डॉ. सती के मुताबिक इस संबंध में किसान कल्याण मंत्रालय ने मध्यान भोजन में शहद और मशरूम को शामिल करने का सुझाव दिया था जिसके अनुक्रम में प्रदेश में इसे शुरू करने की योजना है इसके साथ ही विद्यालय या उसके आसपास किचन गार्डन में मशरूम उत्पादन एवं मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने की योजना है।
अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा डॉ. मुकुल सती के अनुसार वर्तमान में पिथौरागढ़ के 25 विद्यालय मशरूम का उत्पादन कर उसे मध्याह्न भोजन में प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया यदि कोई विद्यालय इसे शुरू करना चाहता है तो उसे किचन गार्डन के रूप में धनराशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। बताते चलें कि विशेषज्ञों के अनुसार शहद में पूर्ण भोजन तत्व तथा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर के पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं और साथ ही मुख्य भोजन के अवशोषण में भी सहायक होते हैं।
1995 में शुरू हुई थी मिड डे मील योजना
मिड डे मील योजना का शुभारंभ भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 1995 को किया गया था जिसमें प्राथमिक के विद्यार्थियों को 80% उपस्थिति पर 100 ग्राम प्रतिदिन की दर से 3 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता था। 18 नवंबर 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को पका पकाया भोजन देने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था जिसके बाद प्रदेश में 6 चरणों में योजना का संचालन होगा। पहले चरण में देहरादून के सहसपुर विकासखंड के 7 स्कूलों को योजना का पायलट प्रोजेक्ट रुप में संचालित किया गया। इसमें 10,000 494 बच्चों को लाभान्वित किया गया।
दूसरे चरण में उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद के 22 विकास खंडों के कुल 3196 प्राथमिक स्कूलों को शामिल किया गया। तीसरे चरण में जुलाई 2003 में शुरू हुआ है वह प्रदेश की सभी 13372 प्राथमिक स्कूलों को अधिक किया गया। चौथे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2007 में विकास खंडों के उच्च प्राथमिक विद्यालयों और 1 से 8 तक की मदरसों को भी योजना के तहत पारित किया गया। पांचवें चरण में 2008 में प्रदेश के इंटर तक के विद्यालयों को भी सम्मिलित कर लिया गया। छठे चरण में 2010 में राष्ट्रीय बाल श्रम योजना के विद्यालयों को भी इस योजना के तहत सम्मिलित किया गया।