World TB Day : समय पर करें इलाज तो टीबी की बीमारी से मिलेगा छुटकारा, जानें लक्षण

महानगर के चिकित्सकों ने टीबी की बीमारी पर दी विशेष जानकारी, मां में टीबी की बीमारी तो बच्चे को नहीं कोई खतरा

World TB Day : समय पर करें इलाज तो टीबी की बीमारी से मिलेगा छुटकारा, जानें लक्षण

मुरादाबाद, अमृत विचार। बहुत से लोग टीबी की बीमारी होने पर उसे छिपा लेते है तो बाद में गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। अगर आप को टीबी बीमारी के लक्षण है तो तुरंत उसे चिकित्सक को दिखाएं, जिससे आप स्वस्थ रहेंगे और टीबी जैसी बीमारी पर भी रोकथाम लगेगी।

24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि मौजूदा समय में टीबी की बीमारी का पूरी तरह से इलाज संभव है। अगर समय रहते इसका इलाज कर लिए जाए तो टीबी का मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है। इसलिए जिन लोगों को दो सप्ताह से अधिक की खांसी हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाए। टीबी बीमारी समय से डिटेक्ट होने पर इलाज मिल जाएगा तो यह ठीक हो जाएगी। इसके साथ ही मरीज और उसके परिवार के लोग भी सुरक्षित रहेंगे। लेकिन बहुत से लोग इसे छिपा और गंभीर कर लेते है।

चिकित्सकों का कहना है कि अगर महिला को टीबी है और उसका इलाज चल रहा है तो वो अपने बच्चे को दूध पिला सकती है। वहीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु श्रीधर, डॉ. जितेंद्र शर्मा, डॉ. पायल पुरी और डॉ. प्रतीक गर्ग ने शिशुओं को होने वाली टीबी के बारे में बताया कि मां का नियमित उपचार चल रहा है और उसकी स्थिति दूसरों को संक्रमित करने वाली नहीं है तो एहतियात बरतकर शिशु को स्तनपान करवाया जा सकता है। यदि संक्रमण की स्थिति में है तो फिर मां के द्वारा निकाले गए ब्रेस्ट मिल्क को परिजनों की मदद से शिशु को पिलाया जा सकता है। हालांकि, इसमें मरीज की स्थिति और उसके उपचार के आधार पर निर्णय चिकित्सक की सलाह पर ही लेना चाहिए। चिकित्सकों का कहना है कि टीबी स्तन के दूध से नहीं फैलती। यह एक हवाई बीमारी (वायु जनित रोग) है जो खांसी, छींक या बात करने से हवा में फैलती है।

किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है क्षय रोग
आईएमए की अध्यक्ष डॉ. प्रीति गुप्ता ने बताया कि टीबी किसी भी आयु वर्ग या आर्थिक स्थिति के व्यक्ति को हो सकती है। यह बीमारी वायु जनित है और किसी भी व्यक्ति को हो सकती है जो टीबी बैक्टीरिया के संपर्क में आता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो टीबी बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होती है। यह बीमारी पारिवारिक नहीं है और किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। यदि रोगी का इलाज समय पर और सही तरीके से किया जाए तो वह जल्दी ही स्वस्थ हो सकता है और समाज में अपनी भूमिका निभा सकता है।

संक्रमण से हो सकती है निसंतान की समस्या
आईएमए की सचिव डॉ. सुदीप कौर ने बताया कि टीबी के संक्रमण की वजह से निसंतान की समस्या भी हो सकती है। 20 से 30 प्रतिशत दंपती की जब हम जांच करते है तो ट्यूबरक्लोसिस का संक्रमण पाया जाता है। टीबी महिलाओं में नलों पर इफेक्ट करती है। जिससे नले सिकुड़ जाते है और बंद हो जाता है। अन्यथा ट्यूबरक्लोसिस की वजह से एंडोमेट्रियम पर भी टीबी इफेक्ट करती है, जिससे वह कम बनती है। जिससे बच्चा ठहरने में दिक्कत होती है।

बच्चे से अलग रहना चाहिए और सीधे स्तनपान से बचना चाहिए
यदि मां को टीबी का इलाज शुरू हो चुका है और वह कम से कम 2 सप्ताह से दवाइयां ले रही है तो वह अपने बच्चे को सुरक्षित रूप से स्तनपान करा सकती है। टीबी के बैक्टीरिया (माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलोसिस) स्तन के दूध के माध्यम से बच्चे में नहीं फैलते। हालांकि, अगर मां का टीबी अनुपचारित और सक्रिय है तो उसे कुछ समय के लिए बच्चे से अलग रहना चाहिए और सीधे स्तनपान से बचना चाहिए। -डॉ. नूपुर सिंह, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ।

नियमित जांच और उपचार से मरीज स्वस्थ हो सकते हैं
एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस ट्यूबरक्लोसिस) को आम भाषा में बिगड़ी हुई टीबी कहा जाता है। इसमें मरीजों के बचने का रेट 50 फीसदी है। हालांकि, नियमित जांच और उपचार से मरीज स्वस्थ हो सकते हैं। आमतौर पर एमडीआर टीबी तभी बनती है, जब सामान्य टीबी का निर्धारित कोर्स को नियम से पूरा नहीं किया जाए।-डॉ. वैभव गुप्ता, छाती एवं सांस रोग विशेषज्ञ

इम्युनिटी कम होने से मानसिक बीमारियां बढ़ती हैं
टीबी से मानसिक बीमारियों के बढ़ने की आशंका रहती है। इसकी एक वजह सामाजिक सहयोग नहीं मिल पाना है। इससे मरीज को डर, घबराहट, उदासी, निराशा बढ़ जाती है। इम्युनिटी कम होने से मानसिक बीमारियां बढ़ती हैं। दवाइयों का असर अवसाद और मानसिक उन्माद का शिकार बना देता है। ऐसे में मनोरोग विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए।-डॉ. नीरज गुप्ता, मनोरोग विशेषज्ञ

टीबी बीमारी के लक्षण

  • लगातार 2 सप्ताह से अधिक खांसी
  • बुखार, थकान व वजन का घटना
  • रात में पसीना आना
  • खांसी में खून आना
  • सांस लेने में तकलीफ

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