2016 में हुई UPSSSC परीक्षा का रिजल्ट 2025 में जारी, अभ्यार्थियों ने भर्ती परीक्षा में शारीरिक दक्षता को लेकर उठाए सवाल
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अयोध्या, अमृत विचारः उत्तर प्रदेश सबोर्डिनेट सर्विस सिलेक्शन कमीशन (UPSSSC) ने 2016 में हवलदार इंस्ट्रक्टर की भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 23 जारी किया था। इस भर्ती में शारीरिक मापदंड की परीक्षा शामिल की गई थी। हालांकि, अब 2025 में परीक्षा के परिणाम की घोषणा के बाद अभ्यर्थियों को एक नई और बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है - शारीरिक दक्षता परीक्षा।
यह परीक्षा 24 से 28 मार्च 2025 को आयोजित होने वाली है, जिसमें 1.5 किलोमीटर दौड़, 55 मीटर गेंद फेंकना, 13 फीट लंबी कूद और पांच बार व्हीम खींचने जैसी कठिन शारीरिक गतिविधियां शामिल हैं। ये परीक्षण शारीरिक रूप से अत्यधिक चुनौतीपूर्ण हैं, और इनकी तैयारी के लिए काफी समय और समर्पण की आवश्यकता होती है।
अभ्यर्थियों का सामना करने वाली समस्या?
2016 में आवेदन करने वाले कई अभ्यर्थियों की आयु अब 2025 में 30 से 40 वर्ष के बीच हो चुकी है। सवाल यह उठता है कि वे अब इस शारीरिक परीक्षा का सामना किस तरह करेंगे, खासकर तब जब उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। जिन अभ्यर्थियों ने 2016 में आवेदन किया था, अब 8 साल बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा देना उनके लिए कठिन हो सकता है।
अभ्यर्थियों की शारीरिक क्षमता में उम्र के साथ बदलाव आ चुका है, और 8 दिन की तैयारी में इतनी कठिन परीक्षा को पास करना संभव नहीं लगता। इसके अलावा, इन अभ्यर्थियों के पास तैयारियों के लिए सीमित समय और संसाधन हैं, जो उन्हें अपनी शारीरिक क्षमता सुधारने में मदद कर सकें।
क्या आयोग की प्रक्रिया एक औपचारिकता बन गई है?
यह स्थिति सवाल उठाती है कि क्या आयोग इस भर्ती प्रक्रिया को केवल औपचारिकता के रूप में देख रहा है। क्या यह परीक्षा केवल परीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आयोजित की जा रही है, जबकि अभ्यर्थियों को तैयार होने का पर्याप्त समय और मौका नहीं दिया जा रहा है? क्या आयोग इस बात को समझता है कि शारीरिक परीक्षा की तैयारी के लिए लंबे समय तक नियमित प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जैसा कि आर्मी और पुलिस भर्ती प्रक्रियाओं में होता है?
आगे का मार्ग
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है। क्या अभ्यर्थियों के लिए कोई राहत दी जाएगी या फिर शारीरिक परीक्षा के मानक में कुछ परिवर्तन किया जाएगा? वर्तमान में यह स्थिति अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, और यह जरूरी है कि आयोग इस पर विचार कर कुछ ठोस कदम उठाए ताकि अभ्यर्थियों को उचित अवसर मिल सके।
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