कानपुर में स्टांप कमी की ओटीएस योजना पक्षकारों ने नकारी; अधिकतम 4 फीसदी पक्षकारों ने संबंधित कोर्ट में जमा कराए ट्रेजरी चालान... 

मूल कमी पर प्रतिमाह 1.5 प्रतिशत ब्याज, 100 रुपये जुर्माना की थी योजना 

कानपुर में स्टांप कमी की ओटीएस योजना पक्षकारों ने नकारी; अधिकतम 4 फीसदी पक्षकारों ने संबंधित कोर्ट में जमा कराए ट्रेजरी चालान... 

कानपुर, अमृत विचार। मकान-दुकान और फ्लैटों में स्टांप कमी की एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) को पक्षकारों ने नकार दिया। संबंधित कोर्ट में लंबित मुकदमों के सापेक्ष अधिकतम 4 फीसदी लोगों ने ही ओटीएस योजना का लाभ लिया। 

दो माह से चल रही ओटीएस आवेदन की समयसीमा 31 मार्च को समाप्त हो जाएगी। माना जा रहा है कि सिर्फ जुर्माने में रियायत के कारण लोगों ने पसंद नहीं किया। ऊहापोह की स्थिति रही कि कोर्ट में लड़ने से हो सकता है कि कमी छूट जाए। 

स्टांप कमी पर बीते दिसंबर माह पर ओटीएस योजना लागू हुई थी। इसके पक्षकारों को नोटिस भेजा गया। योजना के तहत स्टांप की मूल कमी राशि पर 1.5 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज के साथ 100 रुपये जुर्माने का भुगतान करना था। पक्षकारों को योजना का लाभ लेने के लिए 31 मार्च तक मौका दिया गया। शर्त यह थी कि लाभ लेने के लिए पहले भुगतान का ट्रेजरी चालान बनवाना होगा। उसके बाद ही आवेदन स्वीकार किया जाएगा। लेकिन पक्षकारों ने ओटीएस योजना में रुचि नहीं दिखाई। 

एआईजी स्टांप श्याम सिंह बिसेन ने बताया कि कुल करीब 500 स्टांप कमी के मामलों में पक्षकारों को नोटिस भेजा गया था। जिसमें जनवरी माह में केवल 7 और फरवरी माह में 11 लोगों ने ही रुचि दिखाई है। अब तक कुल 18 लोगों ने ट्रेजरी में चालान जमा कराया है। 

वहीं एडीएम वित्त की कोर्ट में 286 को नोटिस भेजा गया। जिसमें सिर्फ 14 लोगों ने योजना का लाभ लिया है और 16 लाख 21 हजार 135 रुपये जमा कराया है। जिलाधिकारी कोर्ट में कुल 30 मामलों के सापेक्ष अब तक केवल दो लोगों ने योजना का लाभ लिया है। जिसमें स्टांप कमी के करीब 20 लाख रुपये जमा किए हैं। 

संबंधित कोर्ट के मामलों को देखा जाए तो सबसे अधिक जिलाधिकारी कोर्ट में करीब 6 फीसदी और 4 फीसदी पक्षकारों ने एआईजी स्टांप की कोर्ट में योजना का लाभ लिया है। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 12 मामले स्टांप कमी के पकड़े हैं। जिन पर सवा 2 करोड़ का जुर्माना लगाया है। इन मामलों की सुनवाई की जा रही है।

क्या है स्टांप कमी   

भवन और भूखंड की रजिस्ट्री में निर्धारित राशि के कम स्टांप मिलने पर स्टांप कमी के मुकदमे दर्ज होते हैं। इन मामलों की सुनवाई जिलाधिकारी, एआईजी स्टांप व एडीएम वित्त की कोर्ट में होती है और स्टांप कमी के हिसाब से जुर्माना लगता है। राजी न होने पर पक्षकार डीआइजी स्टांप व आयुक्त के यहां अपील कर सकता है। अब इन्हीं मुकदमों के निस्तारण के लिए ओटीएस लागू है। 

क्यों नहीं दिखाई रुचि 

पहले ओटीएस योजना लागू होने पर पक्षकार आवेदन करके चले जाते थे और मामलों का निस्तारण नहीं हो पता था। इसलिए इस बार ओटीएम में कुछ बदलाव किया गया। इसके तहत कोषागार में मूल कमी मय ब्याज और जुर्माना जमा करने के बाद ही मामले को सुना जाना था। ओटीएस में ब्याज में रियायत नहीं थी, जुर्माना सिर्फ 100 रुपया कर दिया गया। यही मामला कोर्ट में होता तो ज्यादा से ज्यादा जुर्माना 2 से 3 हजार लगता है। ऐसे में पक्षकार ऊहापोह में रहे कि हो सकता है कि कोर्ट में मामला छूट जाए और ओटीएस का लाभ के लिए आवेदन नहीं किया।

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