Prayagraj : निष्ठापूर्वक कर्तव्य निर्वहन न करने पर प्रोबेशन अवधि में भी सेवा समाप्ति का आदेश संभव

Prayagraj : निष्ठापूर्वक कर्तव्य निर्वहन न करने पर प्रोबेशन अवधि में भी सेवा समाप्ति का आदेश संभव

Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक कॉलेज की प्रबंध समिति द्वारा प्रोबेशन अवधि के दौरान सेवा समाप्ति के आदेश पर अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि यह सत्य है कि सेवा समाप्ति रोजगार के नियमों के तहत या संविदात्मक अधिकार का प्रयोग करके किसी प्रोबेशनर व्यक्ति को ना तो बर्खास्त किया जा सकता है और न ही हटाया जा सकता है।

अगर कर्मचारी प्रोबेशनर या अस्थायी होता है, तो भी उसकी सेवा समाप्ति के पहले कारण बताने का उचित अवसर दिए बिना सेवा से नहीं हटाया जा सकता और अगर ऐसे मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया है और अगर प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने प्रबंधन समिति के आक्षेपित आदेश को बरकरार रखते हुए की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर प्रोबेशन अवधि के अंदर याची का कार्य संतोषजनक नहीं रहता है, तो प्रबंधन समिति उसका प्रोबेशन पीरियड न बढ़ाने का आदेश पारित कर सकती है।

याची के खिलाफ मुख्य रूप से यह आरोप था कि वह व्यायाम के सहायक अध्यापक के रूप में अपने कर्तव्य का निर्माण ठीक से नहीं कर रहा था। इसके साथ ही वह महाविद्यालय के सामान्य कामकाज में भी बाधा उत्पन्न कर रहा था। संबंधित महाविद्यालय के छात्रों को प्रोत्साहित करने के बजाय वह अपने छात्रों को कबड्डी की प्रतियोगिता में ले गया। जांच के दौरान एकत्रित सामग्री और गवाहों के बयानों के आधार पर उक्त आरोपों का समर्थन किया गया है। हालांकि याची के अधिवक्ता ने उक्त आरोपों का खंडन किया है, लेकिन याची के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके। अतः कोर्ट ने 26 नवंबर 2007 के आक्षेपित आदेश को बरकरार रखते हुए प्रबंधन समिति के निर्णय को उचित माना। मामले के अनुसार एक विज्ञापन के अनुसरण में शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत याची को सहायक अध्यापक, व्यायाम के पद पर नियुक्त किया गया था और 4 जनवरी 2006 को अल्पसंख्यक संस्थान में 1 वर्ष की प्रोबेशनन अवधि पर याची सेवा में शामिल हुआ।

इसके बाद स्कूल की प्रबंधन समिति ने एक प्रस्ताव द्वारा प्रोबेशन अवधि को 1 वर्ष अर्थात 3 जनवरी 2008 तक के लिए बढ़ा दिया। इसके बाद जब याची को स्थायी घोषित नहीं किया गया तो उसने डीआईओएस, हाथरस से संपर्क किया‌। याची को सितंबर 2007 में एक आरोप पत्र दिया गया, जिसमें सहायक अध्यापक के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक निर्वहन न करने का आरोप लगाया गया था। याची संजय कुमार सेंगर के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 1 वर्ष की प्रोबेशन अवधि पूरी होने के बाद भी याची को स्थायी घोषित नहीं किया गया। बिना किसी कानूनी समर्थन या प्रावधान के 1 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया। अंत में कोर्ट ने प्रबंधन समिति के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याची की सेवा समाप्ति के आदेश को उचित ठहराया।

यह भी पढ़ें- हत्यारोपी को उम्रकैद : डीजे बजाने के विवाद में बीच चौराहे पर युवक की गला रेत कर की थी हत्या

ताजा समाचार

Chitrakoot में थ्रेसर से दबकर किशोरी की मौत का मामला: परिजन बोले- बेटी का शव निकालकर कराया जाए पोस्टमार्टम, दिया धरना
दुस्साहस : मां को बेहोश कर मासूम का दिनदहाड़े अपहरण, पुलिस की नजर में घटना संदिग्ध, जांच जारी
लखीमपुर खीरी: गन्ने के खेत में दिखे तेंदुए के तीन शावक, अगले दिन मादा ले गई जंगल
लखीमपुर खीरी : जिला सहकारी बैंक का लाभ 1.20 करोड़ से बढ़कर हुआ 14.11 करोड़
Kanpur में यूपी बोर्ड की परीक्षा देने गए छात्रों के मोबाइल चोरी: चोरों ने परीक्षा केंद्र के पास खड़ी गाड़ियों के ताले तोड़े, FIR दर्ज
लखीमपुर खीरी: बाइक सवारों ने युवक का किया अपहरण, हरियाणा से लौट रहा था घर