बरेली: बदमाशों ने काट दिए थे दोनों हाथ, हौसले ने दिया सपनों का साथ

बरेली: बदमाशों ने काट दिए थे दोनों हाथ, हौसले ने दिया सपनों का साथ

बरेली,अमृत विचार। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, नाउम्मीदी से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है…। एक मशहूर शायर की ये पंक्तियां शहर के कंपोजिट स्कूल बारादरी के शिक्षक सय्यद असद अली पर चरितार्थ हो रही है। बदमाशों ने उनके दोनों हाथ काट दिए थे लेकिन बेबसी को …

बरेली,अमृत विचार। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, नाउम्मीदी से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है…। एक मशहूर शायर की ये पंक्तियां शहर के कंपोजिट स्कूल बारादरी के शिक्षक सय्यद असद अली पर चरितार्थ हो रही है। बदमाशों ने उनके दोनों हाथ काट दिए थे लेकिन बेबसी को उन्होंने कभी अपने जज्बे पर हावी नहीं होने दिया।

वह आज भी उसी जज्बे से शिक्षा का दीप जला रहे हैं जिस जज्बे के साथ दोनों हाथ गंवाने से पहले पढ़ाया करते थे। उनकी मेहनत और हौसले का ही नतीजा है कि आज उनके पढ़ाए गए बच्चे अपने सपनों की मंजिल को हासिल कर सके हैं। उनके पढ़ाए बच्चे आज प्रतिष्ठित पदों पर तैनात हैं। कुछ तो शिक्षा विभाग में ही कार्यरत हैं। वहीं, कुछ शिष्य सेना का हिस्सा बनकर देश सेवा कर रहे हैं।

सय्यद असद अली शहर के कंपोजिट स्कूल बारादरी में प्रभारी अध्यापक के पद पर तैनात हैं। वह भोजीपुरा के बंजरिया जागीर गांव के रहने वाले हैं। वर्षों पहले कुछ बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया था और उनके दोनों हाथ काट दिए थे। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों को पढ़ाने के लिए कृत्रिम हाथ लगवाए। वह आज भी कृत्रिम हाथों से बच्चों को पढ़ाते हैं।

असद अली कहते हैं, ‘मैंने हाथ कटने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। कृत्रिम हाथों से बच्चों को पढ़ाया और अब भी पढ़ा रहा हूं। मुझे गर्व है कि मेरे शिष्यों ने अपनी मंजिल हासिल की। मेरे कुछ शिष्य आज बरेली बीएसए कार्यालय में तैनात हैं। कई बच्चे सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। आगे भी इसी तरह से पढ़ाने की इच्छा है।’
असद अली मूल रूप से गणित के शिक्षक हैं मगर अन्य विषयों को भी बेहद रुचि के साथ पढ़ाते हैं। लाकडाउन में उन्होंने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी। घर से ही वीडियो बनाकर बच्चों तक पहुंचाया था।

वर्ष 2011 में तैनात हुए थे बारादरी स्कूल में
सय्यद असद अली ने बताया कि उनकी तैनाती शिक्षा विभाग में 16 मई 1987 में सहायक अध्यापक के रूप में हुई थी। सबसे पहली तैनाती उन्हें बालजती स्कूल में दी गई। वर्ष 2011 तक उन्होंने इसी स्कूल में पढ़ाया। इसके बाद उन्हें कंपोजिट स्कूल बारादारी में स्थानांतरित कर दिया गया। तब से वह इसी स्कूल में हैं। कुछ ही समय पहले वह प्रभारी अध्यापक बने हैं।