Kanpur: हद है, कड़ाके की सर्दी में रात में लगा रहे शिविर, फार्मा रजिस्ट्री के शिविरों का हाल बेहाल, दिन में नहीं चल रही साइट
कानपुर, अमृत विचार। ग्लोबल डिजिटल की ओर कदम बढ़ा रहे देश में साइट की खस्ताहालत सरकार के मिशन मोड पर चलने वाली योजनाओं को तो प्रभावित कर ही रही हैं, साथ ही उनसे किसान आदि आम जनता को भी दुश्वारियां हो रही हैं। साइट की सुस्त चाल के कारण तहसील प्रशासन गांवों में फार्मा रजिस्ट्री के शिविर रात में लगा रहा है। कहा जा रहा है कि दिन में साइट नहीं चलती। किसानों को अपनी कृषि भूमि का विवरण देने के लिए रात में कंपकपाते हुए पहुंचना पड़ रहा है। नतीजा यह है कि 10 फीसदी भी फार्मा रजिस्ट्री नहीं हो सकी है।
जिले में 31 जनवरी तक 217000 किसानों की फार्मा रजिस्ट्री होनी है। अब तक 20432 किसानों ने ही यह रजिस्ट्री कराई है। फार्मा रजिस्ट्री नहीं होने पर किसानों को सम्मान निधि नहीं दिए जाने की चेतावनी पहले से है। ऐसे में किसानों की भी मजबूरी है कि वह किसी तरह यह रजिस्ट्री करा लें। गांवों में उनकी सुविधा के लिए लगाए जा रहे शिविरों ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
तहसीलदार सदर रितेश कुमार सिंह ने बताया कि दिन में साइट नहीं खुल पा रही है। इसलिए रात में मजबूरी में कैंप लगाने पड़ रहे हैं। इस वजह से परेशानी हो रही है। रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक साइट खुल पाती है, इसलिए उसी समय गांवों में शिविर लगाकर किसानों से संपर्क किया जा रहा है। जो नहीं आ पाते हैं, उनसे फोन पर बात कर जरूरी विवरण साइट पर दर्ज कर दिए जाते हैं।
कई कागजों से मुक्त कर देगा एक गोल्डन कार्ड
ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर संदीप यादव ने बताया कि फार्मा रजिस्ट्री होने से किसान की अलग अलग कृषि भूमि का लिंक गोल्डन कार्ड के नंबर से हो जाएगा। इससे ऋण व फसल बीमा का लाभ लेने में आसानी होगी। इसके लिए किसानों को अलग अलग खतौनी लेकर नहीं घूमना पड़ेगा। रजिस्ट्री कराने के लिए खतौनी, आधारा कार्ड व रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर जरूरी है। अन्य नंबर भी दे सकते हैं। इसके लिए गांव गांव कैंप लग रहे हैं। यह रजिस्ट्री सीएससी केंद्र और फार्मा रजिस्ट्री यूपी एप से स्वयं भी कर सकते हैं।
धीमी साइट की समस्या पूरे प्रदेश में है। इसकी जानकारी स्थानीय स्तर पर भी उच्चाधिकारियों को दी जा चुकी है। किसानों को अन्य विकल्पों की जानकारी दी जा रही है, जिससे वे यह रजिस्ट्री आसानी से करा सकें।- अरुण चौधरी, नोडल अधिकारी व उप निदेशक कृषि
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