प्रयागराज : न्यायालयों को आर्थिक अपराधों से निपटते समय सतर्क रहने की आवश्यकता
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यूनाउ इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड (वीआईपीएल) और उससे जुड़ी संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आर्थिक अपराध जनता के विश्वास को कमजोर करते हैं और इनकी गहन जांच की आवश्यकता है। धोखाधड़ी वाली योजनाएं, जो अक्सर जटिल व्यापार मॉडल के नाम पर छिपाई जाती हैं, अनजान निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय को आर्थिक अपराधों से निपटते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ये अपराध बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करते हैं। मौजूदा मामले में एफआईआर में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराधों का खुलासा करते हैं, इसलिए याचिका को खारिज किया जाना उचित प्रतीत होता है। ऐसे मामलों में कठोर जांच आवश्यक है, जहां सार्वजनिक धन जोखिम में हो। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने आर्थिक अपराधों की गंभीर प्रकृति पर चिंता जताते हुए की।
मामले के अनुसार 24 नवंबर, 2024 को नोएडा के सेक्टर 58 पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में वीआईपीएल और उसके सहयोगियों- व्यूनाउ मार्केटिंग सर्विसेज लिमिटेड (वीएमएसएल),ज़ेबाइट इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड (जेडआईपीएल) और ज़ेबाइट रेंटल प्लैनेट प्राइवेट लिमिटेड (जेडआरपीपीएल) पर निवेशकों को एक भ्रामक "बिक्री और लीज़बैक" क्लाउड स्टोरेज योजना में फंसाने का आरोप लगाया गया है।
यह भी पढ़ें-प्रयागराज : जूना अखाड़े ने 13 वर्ष की नाबालिग संत और गुरु कौशल गिरी को अखाड़े से किया बाहर