नव वर्ष पर बिजली कर्मी मनाएंगे काला दिवस, निजीकरण का विरोध

नव वर्ष पर बिजली कर्मी मनाएंगे काला दिवस, निजीकरण का विरोध

लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश समेत चंडीगढ़ और राजस्थान में ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को देश भर के बिजली कर्मियों ने एक घंटे कार्य बहिष्कार किया। प्रदेश के बिजली कर्मी नये साल के पहले दिन काली पट्टी बांधकर काला दिवस मनाएंगे और पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन का नव वर्ष पर सामाजिक बहिष्कार करेंगे।

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आहवान पर देश भर के बिजली कर्मियों ने दोपहर में एक घंटे का कार्य बहिष्कार किया। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स की ओर से ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आरके त्रिवेदी, इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल प्रशांत चौधरी, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल कुलदीप कुमार और ऑल इंडिया पॉवर मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल समर सिन्हा ने बताया कि चंडीगढ़ में 20 हजार करोड़ रुपये की बिजली की परिसम्पत्तियां मात्र 871 करोड़ रुपये में निजी कंपनी सौंपी जा रही है। इसी तरह, प्रदेश में भी दो निगमों को निजी हाथों में देने की तैयारी है। राजस्थान में विद्युत वितरण के निजीकरण की बिडिंग प्रक्रिया बड़े पैमाने पर शुरू कर दी गई है। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने कहा कि प्रदेश में निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्रवाई शुरू की गई तो देश के 27 लाख बिजली कर्मी मूक दर्शक नहीं रहेंगे। प्रदेश बिजली कर्मियों के समर्थन में देशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी अधिकारी काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे पर नियमित कार्य करते हुए उपभोक्ता सेवा में कोई भी गिरावट नहीं आने देंगे।

पांच जनवरी होगी प्रयागराज में होगी बिजली पंचायत

निजीकरण के विरोध में चल रही बिजली पंचायतों के क्रम में पांच जनवरी को प्रयागराज में बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी। प्रयागराज की बिजली पंचायत के बाद प्रदेश के सभी जिलों में बिजली पंचायत आयोजित कर निजीकरण के विरोध में आम उपभोक्ताओं और किसानों को होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाएगा।

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