Sambhal News : बेरनी के टीले की खोदाई हो तो छिपी धरोहर हो सकती है उजागर
2009 में टीले के खोदाई में मिली थी चतुर्भज भगवान विष्णु की प्रतिमा, एएसआई ने टीले की खोदाई पर लगा रखा है प्रतिबंध , प्रधानपति अब डीएम से मिलकर करेंगे टीले की खोदाई की मांग
पूर्व में बेरनी स्थित टीले की खोदाई में मिली निकली चतुर्भज भगवान विष्णु की प्रतिमा। प्रधानपति रामवीर सिंह।
चन्दौसी/कुढफतेहगढ/अमृत विचार। तहसील के गांव बेरनी में प्राचीन शिव मंदिर है। इस मंदिर का प्राचीन ऐतिहासिक महत्व है। सितंबर 2009 में गांव में टीले की खोदाई करते समय भगवान विष्णु की खंडित चतुर्भज प्रतिमा मिलने से बेरनी गांव चर्चा में आया। प्रतिमा को मंदिर परिसर में रखा है। मार्च 2011 में पहुंची भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम (एएसआई) से प्रतिमा को निरीक्षण कर उसे 800 से 1000 वर्ष पुराना बताया था। इसके बाद टीले की खोदाई पर रोक लगा थी और बाउंड्रीवाल व तारकशी कराकर बोर्ड लगवा दिया। अब गांव के प्रधानपति जिलाधिकारी को पत्र देकर टीले की खोदाई कराने की बात कह रहे हैं, ताकि टीले में दबी प्राचीन धरोहर बाहर आ रहे। वैसे बेरनी को राजा वेन की राजधानी भी कहा जाता है।
बेरनी गांव थाना कुढ़फतेहगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत आता है। सितंबर 2009 में ग्रामीण गांव में स्थित टीले की खोदाई कर रहे थे। तभी चतुर्भुज विष्णु भगवान की प्रतिमा मिट्टी में दबी निकली। जो खंडित हो चुकी थी। इसके बाद प्रतिमा को गांव के प्राचीन शिव मंदिर में रख दिया। जिसकी जानकारी एएसआई को दी गई। 2011 आगरा से सहायक पुरातत्वविद आरके सिंह बेरनी पहुंचे। प्रतिमा का निरीक्षण किया।
बताया कि प्रतिमा 800 से 1000 वर्ष पुरानी हो सकती है। ऐसी प्रतिमाएं दक्षिण भारत में भी मिली है। फर्क सिर्फ बनाने में उपयोग किए गए पत्थर का है। उन्होंने मंदिर की नींव में मिली ईट से मंदिर का इतिहास पांचवीं शताब्दी का बताया। इसके बाद एएसआई ने टीले की खोदाई पर रोक लगा दी। साथ ही टीले के आसपास बाउंड्रीबाल व तारकशी करा दी। साथ ही एक बोर्ड लगा दिया। वैसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1920 नोटिफाइड एरिया घोषित किया है।
साथ ही बेरनी का शिव मंदिर की आस-पास जिलों में काफी प्रसिद्ध है। हर वर्ष शिवरात्रि व सावन माह में लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते है। मौजूदा समय में संभल में कई स्थानों के अलावा चन्दौसी में बावड़ी की खोदाई का कार्य चल रहा है। जिसको लेकर गांव के प्रधानपति रामवीर सिंह ने जिलाधिकारी से मिलकर गांव के टीले की खोदाई करवाने का मन बनाया है। ताकि टीले में दबी प्राचीन धरोहर उजागर हो सके। क्योंकि गांव बेरनी को राजा वेन की राजधानी बताया जाता है। राजा के नाम से ही गांव का नाम बेरनी पड़ा था।
जनपद संभल का प्राचीन महत्व है। जहां कई मंदिर, कूप के साथ-साथ कई तीर्थ स्थल है। हमारे गांव बेरनी को भी राजा वेन की राजधानी बताया जाता है। यहां के प्राचीन शिव मंदिर को पांचवी सदी का है। 2009 में गांव के टीले की खोदाई में भगवान विष्णु की चतुर्भुज नुमा प्रतिमा मिली थी। इसलिए टीले के अंदर कई प्रतिमा व अन्य धरोहर दबी हो सकती है। जब तक खोदाई नहीं होती, तब उनको उजागर नहीं किया जा सकता। इसलिए प्राचीन धरोहर को उजागर करने के लिए जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया से मिलकर टीलों की खोदाई की मांग की जाएगी। -रामवीर सिंह, प्रधानपति, गांव बेरनी
शिव मंदिर को किया जाए पर्यटक स्थल घोषित
बिलारी विधान सभा से विधायक मोहम्मद फहीम ने कार्यकर्ताओं के गुरुवार को कुढ़फतेहगढ़ के बेरनी स्थित शिव मंदिर पहुंचे। मंदिर व आसपास निरीक्षण के बाद शिव मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने व जीर्णोद्धार कराने की मांग की। गुरुवार की अपराह्न बिलारी विधायक मोहम्मद फहीम अपने कार्यकर्ताओं के साथ बेरनी के प्राचीन शिव मंदिर पहुंचे। सूचना मिलने पर ग्राम प्रधान के पुत्र शिवओम भी पहुंच गए। विधायक ने कार्यकर्ताओं के साथ शिव मंदिर व आसपास का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि वह प्रदेश सरकार से मांग करेंगे कि मंदिर को पर्यटक स्थल घोषित किया जाए। साथ ही मंदिर का जीर्णोद्धार के साथ सुंदरीकरण कराया जाए। जिससे मंदिर की भव्यता को उजागर किया जा सके और अन्य प्रदेश व जनपदों से लोग मंदिर को देखने आए।
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