Alert! आपकी स्मार्ट वॉच से बीमा कंपनियां हो रही हैं मालामाल

दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बन चुका है साइबर अपराध

Alert! आपकी स्मार्ट वॉच से बीमा कंपनियां हो रही हैं मालामाल

मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार: जरा सोचिए! आप जिस उत्पाद या नेता की बात करते हैं, वैसी ही चीजें आपका फोन आपको दिखाने लग जाता है। आपके फोन को मालूम है कि आप पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थक है या राहुल गांधी को पसंद करते हैं। आप जैसे ही इंटरनेट सर्फिंग करते हैं वह आपको उन्हीं नेताओं के क्लिप दिखाने लग जाता है। कारण कोई और नहीं यह आपके मोबाइल फोन के ''स्मार्ट'' होने की वजह से है। बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि आपकी स्मार्ट वॉच से बीमा कंपनियां मालामाल हो रही हैं। दरअसल एआई और साफ्टवेयर की दुनिया में कुछ भी निजी नहीं रह गया है। यह कहना है शुभम त्रिपाठी का जो सी-डैक नोयडा में प्रोजेक्ट इंजीनियर होने के साथ साइबर मामलों के जानकार हैं। शुभम गुरुवार को एकेटीयू में उत्तर प्रदेश पुलिस टीम को साइबर क्राइम का प्रशिक्षण दे रहे थे। उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि ध्यान रखें भारत की पुलिस कभी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है।

स्मार्ट फोन रखता है बीमा और दवा कंपनियों की सेहत का ख्याल

शुभम त्रिपाठी बताते हैं कि गूगल कभी अपनी हिस्ट्री मिटने नहीं देता। प्रयोगकर्ता को लगता है कि हिस्ट्री मिट गई लेकिन वास्तव में वह बनी रहती है। स्मार्ट फोन आपके स्वास्थ्य से अधिक बीमा कंपनियों और दवा कंपनियों की सेहत का ख्याल रखता है। आप रोजाना कितना पैदल चलते हैं। आपके रक्त में ऑक्सीजन लेवल कितना है और आपके हृदय की गति क्या है। आपने गौर किया कि इसका पूरा डाटा कहां पर स्टोर हो रहा है। वास्तव में यह डाटा स्मार्ट वॉच आपके फोन में इंस्टॉल किए साफ्टवेयर को भेजता है, जहां से यह कंपनियों को चला जाता है। कंपनियां इस डाटा को बीमा और दवा कंपनियों को बेच देती हैं। इससे उनको पता चलता है कि बड़ी आबादी को कौन सी बीमारियां हो सकती है। जिसके आधार पर वह बीमा से लेकर दवाओं का उत्पादन घटाती-बढ़ाती रहती हैं।

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फेसबुक, सीसीटीवी और एलेक्सा भी आपकी निजता रहे चुरा

शुभम त्रिपाठी बताते हैं कि सीसीटीवी से लेकर एलेक्सा तक साफ्टवेयर आधारित यंत्र हैं जो आपके निजी जीवन का पूरा हिसाब-किताब रखते हैं। यह सारी चीजें व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल की जा रही हैं तो वहीं इसी डाटा का प्रयोग साइबर क्रिमिनल भी कर रहे हैं। आप कहां जाते हैं, किससे मिलते हैं और अभी कहां बैठै हैं पूरी जानकारी फेसबुक को है। एमेजन कंपनी ने डाटा कलेक्शन के लिए ही एलेक्सा बनाया है। फोन की सेटिंग में आप जितने एप को परमिट करते हैं, उतनी ही निजता खोते जाते हैं।

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साइबर अपराध के नए हथियार, पसंदीदा चित्र देखा डाटा ट्रांसफर

साइबर विशेषज्ञ एम जगदीश बाबू बताते हैं कि हैकिंग की विद्या और ओटीपी पूछना अपराधियों के लिए पुराना पड़ चुका है। इसके अलावा लोग भी अब इन पुरानी विधाओं से जागरूक हो चुके हैं। अब वह आपकी कमजोरी खोजते हैं जैसे आउटडेटेड और पाईरेटेड साफ्टवेयर का प्रयोग करने पर उनके लिए आसानी हो जाती है। वह एंड्रायड रेड का प्रयोग करके आपको देवी-देवता की फोटो भेज देंगे। चित्र आपने देखा की आपका फोन का सारा डाटा ट्रांसफर हो जाता है।

भारत में 7,000 साइबर अपराध रोजाना

अपने सर्वेक्षण के आधार पर शुभम त्रिपाठी बताते हैं कि 7,000 साइबर अपराध रोजाना भारत में दर्ज हो रहे हैं। इसके अलावा साइबर क्राईम की अर्थव्यवस्था दुनियां की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है जो सालाना 8 ट्रिलियन डॉलर है।

कैसे बचें साइबर अपराध से
-यदि कोई बैकिंग लिंक आपको भेजा जाता है तो उसे न खोलकर अलग टैब में बैंक की वेबसाइट ही खोले। अगर कुछ गलत नहीं है तो वहां भी नोटिफिकेशन दिखेगा।
-यदि बहुत जरुरी है तो वायरस टोटल साफ्टवेयर पर लिंक की कॉपी डालकर चेक करें यह मॉलवेयर या ट्राजन तो नहीं है।
-''फोन'' और ''साफ्टवेयर'' को अपडेट रखें। ''ओसीन ड्रेज'' और ''ब्रीज सेंटर'' भी बता सकते हैं कि आपका डाटा हैक हुआ है या नहीं।
-पासवर्ड की जगह पासफ्रेज (लिखा हुआ पैरा या मुहावरा, कविता,गीत आदि) का प्रयोग करें
-साइबर अपराधी जानते हैं कि ज्यादातर लोग अपना जन्मदिन, तिथि, नाम, जिला, फोन नंबर, वाहन नंबर आदि को पासवर्ड के रूप में किया जाता है। परम्यूटेशन कांबीनेशन से संभावित पासवर्ड वह खोजते हैं।
- इससे बचने के लिए स्पेशल फांट, फीगर, शब्द आदि का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है। ऑनलाइन अकाउंट में मल्टी अथेंटिकेशन चालू करके रखें। कोई भी साफ्टवेयर प्रमाणिक स्रोत से डाउनलोड करें। पैसे के लेनदेन में सिर्फ प्रमाणिक साफ्टवेयर का ही प्रयोग करें। कोई लॉटरी, लिंक या डिजिटल अरेस्ट के झांसे में न फंसे। भारत की पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती।

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