Prayagraj News : अशांति भड़काने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना अनुचित
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट में यति नरसिंहानंद के कथित भाषण के खिलाफ सोशल मीडिया पर मोहम्मद जुबैर के पोस्ट को लेकर दाखिल मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जुबैर से मौखिक रूप से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न किए। कोर्ट ने जुबैर से पूछा कि उन्होंने यति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने या उचित उपाय की मांग करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के बजाय सोशल मीडिया पर मामला पोस्ट करना क्यों चुना।
कोर्ट ने सोशल मीडिया पर जुबैर की टिप्पणी को लेकर उनसे पूछा कि अगर नरसिंहानंद का व्यवहार उन्हें अजीब लगता है तो क्या उन्हें पुलिस के पास जाने के बजाय और भी अजीब व्यवहार करना चाहिए। क्या उन्होंने नरसिंहानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। अगर उन्हें नरसिंहानंद का भाषण, चेहरा पसंद नहीं है तो उन्हें उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। हालांकि याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यति नरसिंहानंद के कथित भाषण का उल्लेख और उनके आचरण के बारे में लोगों को बताकर याची अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहा था। अधिवक्ता ने कोर्ट को आगे बताया कि जुबैर ही नहीं, अन्य कई लेख और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर समान मुद्दे पर कई पोस्ट किए गए हैं, लेकिन कोर्ट ने उपरोक्त तर्कों को ना मानते हुए सोशल मीडिया पर याची द्वारा की गई टिप्पणी को अनुचित ठहराया और कहा अगर आपको किसी के व्यवहार से आपत्ति है तो आप कोर्ट में आइए।
आप सोशल मीडिया पर जाकर सामाजिक विद्वेष पैदा नहीं कर सकते हैं। कोई कुछ भी कहे, आप सोशल मीडिया पर नहीं जा सकते हैं। इसका यह अर्थ नहीं है कि ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है बल्कि इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल अशांति भड़काने के लिए करना उचित नहीं है। कोर्ट ने याची के ट्वीट का जिक्र करते हुए कहा कि उसे पढ़कर ऐसा लग रहा है कि याची अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहा था। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की। बता दें कि जुबैर पर पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उन पर विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूह के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था, जिसे चुनौती देते हुए जुबैर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। मामले की सुनवाई आगामी 20 दिसंबर को सूचीबद्ध की गई है।
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