बदायूं: ट्रेन रोकने पहुंचे किसान नेताओं को पुलिस ने रोका तो की नारेबाजी

बुधवार को रेलवे स्टेशन पहुंचे थे पदाधिकारी व कार्यकर्ता

बदायूं: ट्रेन रोकने पहुंचे किसान नेताओं को पुलिस ने रोका तो की नारेबाजी

बदायूं,अमृत विचार। भारतीय किसान यूनियन स्वराज ने ट्रेन रोकने का आह्वान किया था। जिसके चलते बुधवार सुबह से ही रेलवे स्टेशन पर पांच थानों की पुलिस के अलावा जीआरपी और आरपीएफ मुस्तैद रही। भाकियू के पदााधिकारी और कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन पहुंचे और भीतर जाने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने रोक दिया। पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। एसडीएम सदर ने मौके पर पहुंचकर ज्ञापन लिया और किसान वाहन लौट गए।

जगह-जगह हो रहे किसान आंदोलन को लेकर भाकियू ने ट्रेन रोकने का आह्वान किया था। पदाधिकारी व कार्यकर्ता पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। पांच थानों की पुलिस की मुस्तैदी और बैरीकेटिंग के चलते वह लोग रेलवे स्टेशन के भीतर भी नहीं घुस सके। सीओ सिटी संजीव कुमार ने उन्हें समझाकर शांत कराया। कुछ देर के बाद एसडीएम सदर ने मौके पर पहुंचकर ज्ञापन लिया। संगठन के जिलाध्यक्ष इंतजार अली ने ज्ञापन में बताया कि देश की आर्थिक स्थिति में कृषि का सबसे अहम योगदान रहता है। सरकारें किसान हितैषी नीतियां बनाने के लिए अपना सबकुछ लगा देती हैं लेकिन किसान के हित से ज्यादा उसका नुकसान ही होता है। कृषि विशेषज्ञों को जमीनी हकीकत को समझना होगा। तब ही किसानों का उद्धार हो सकेगा। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि देश की तरक्की का रास्ता खेत-खलिहानों से होकर गुजरता है। उपराष्ट्रपति ने किसानों के दर्द को समझा, जिसे अपने वक्तव्य में जाहिर किया है। किसान घाटे का सौदा कर खेती करने को मजबूर हैं। फसल करने के लिए उपयोगी डीजल, पेस्टीसाइड्स आदि की कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन फसल के दाम उसके अनुसार नहीं बढ़ रहे। सरकार जो बीज सरकार को उपलब्ध करा रही है जिसमें ज्यादा पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करना पड़ता है। किसान का बोझ वहन नहीं कर पा रहे। जब दिल्ली में हुए आंदोलन को स्थगित किया गया तब से लेकर आज तक किसान एमएसपी गारंटी कानून सहित अन्य मुद्दों पर संघर्ष कर रहे हैं। पिछले 10 महीने से शम्भू व खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है। किसान नेता जगमीत सिंह 20 दिन से आमरण अनशन पर हैं। उनका स्वास्थ्य रोज गिरता जा रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश के जिला गौतमबुद्धनगर के किसान जमीन अधिग्रहण को लेकर अपनी जमीन के मुआवजा की मांग कर रहे हैं। उन्हें मुआवजा देने की बजाय जेल में बंद कर दिया गया। महिला किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। आगे लिखा कि प्रधानमंत्री इस कठिनाई के दौर में गुजर रही खेती-किसानी, ग्रामीण परिवेश को बचाने के लिए किसानों के हित में निर्णय लें। जिससे आने वाले समय में किसान खुशहाल हो सकें।