पूर्वोत्तर रेलवे: 12 साल बाद हुए चुनाव में एनई रेलवे मेंस कांग्रेस की जीत, नरमू चित
बरेली, अमृत विचार : मान्यता के लिए 12 साल बाद हुए चुनाव में कर्मचारियों ने इस बार पूर्वोत्तर रेलवे मेंस यूनियन (नरमू) को हराकर पूर्वोत्तर रेलवे मेंस कांग्रेस (एनईआरएमएस) के सिर जीत का सेहरा बांध दिया। पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ को तगड़ा झटका देते हुए उसे सिरे से नकार दिया। इस अप्रत्याशित जीत से एनईआरएमएस में जबर्दस्त जोश का माहौल है, दूसरी तरफ नरमू के खेमे में मायूसी छा गई है। एनईआरएमएस को 4039 वोटों की तुलना में नरमू को 2256 वोट ही मिले। इस बड़े अंतर ने पराजय की मायूसी को और गहरा कर दिया है।
इज्जतनगर मंडल में अब तक रेलवे की सबसे पुरानी यूनियन नरमू का ही वर्चस्व था। आजादी के बाद रेलवे में ज्यादातर नरमू ही काबिज रही है। अब भी 12 साल से कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रही थी। लेकिन 12 साल बाद हुए चुनाव में कर्मचारियों ने नरमू को सिरे से नकार दिया। इज्जतनगर मंडल में रजनीश तिवारी एनईआरएमएस के चेहरा थे। माना जा रहा है कि उनके जुझारू व्यक्तित्व पर कर्मचारियों ने एनईआरएमएस को एकतरफा वोट दिया।
आंकड़ों के अनुसार मंडल में पीलीभीत, कासगंज, बदायूं, फतेहगढ़, टनकपुर, बीसलपुर, कन्नौज, बरेली सिटी, रुद्रपुर, लालकुआं, काशीपुर, मथुरा, पूरनपुर, कानपुर अनवरगंज में डाले गए वोटों की गिनती हुई। 8366 कुल वोटरों में से 7315 ने वोट डाले। गोरखपुर मुख्यालय ने यूनियन चुनाव का आंकड़ा जारी नहीं किया। दोपहर तीन बजे परिणाम पता चलने के बाद मेंस कांग्रेस के कार्यकर्ता ढोल नगाड़े लेकर डीआरएम कार्यालय के बाहर इकट्ठे हो गए। रजनीश तिवारी को कंधे पर उठाकर और एक-दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी मनाई। चुनाव रणनीतिकार संतोष यादव को भी फूलमालाओं से लाद दिया। आतिशबाजी के साथ वर्कशॉप तक जुलूस निकाला गया।
काम नहीं करने पर पुराने संगठन को भी बाहर होना पड़ता है: रजनीश
बरेली: अप्रत्याशित जीत के बाद भावुक रजनीश ने कहा कि कर्मचारियों ने अपना प्यार वोटों के रूप में उन्हें दिया है। चुनाव में पुराने संगठन के मंझे हुए नेता कमान संभाले हुए थे लेकिन कर्मचारियों ने वोट देकर बता दिया है कि पुराने से पुराना संगठन के लोगों को भी उनके काम न करने पर सत्ता से बाहर होना पड़ेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि रेल प्रशासन कर्मचारी हित में संगठन से कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगा।
उत्तर रेलवे में नरमू का लहराया परचम
उत्तर रेलवे बरेली जंक्शन पर नरमू ने परचम लहराया। यहां इस बार भी कर्मचारियों ने नरमू को अपना प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी दी है। मुरादाबाद मंडल में नरमू को 6924 वोट मिले हैं। यहां उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन को 3738,नार्दर्न रेलवे इंप्लाइज यूनियन को 1989 ओर उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन को 1280 वोट मिले हैं। नरमू के मुशर्रफ खान, राजेश दूबे ने इस जीत को संगठन के पूर्व शाखा सचिव गोविंद सिंह चौहान, सतीश शर्मा सहित पुराने नेताओं के मार्गदर्शन का नतीजा बताया है।
जुलूस निकालने के लिए कार सजाई लेकिन हार गए
इज्जतनगर मंडल में चुनाव परिणाम काफी अप्रत्याशित रहे। एक संगठन के कार्यकर्ता अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि अपने नेता को खुली जीप में बैठाकर जुलूस निकालने के लिए सुबह ही उसे गेंदे के फूलों से सजा दिया। रिजल्ट आने से पहले मिठाई भी लाकर रख ली गई, लेकिन परिणाम आया तो सारा उत्साह ठंडा हो गया। जीत के लिए सजाई गई जीप एक कॉलोनी में खड़ी रह गई। मुरझाए चेहरे लेकर कार्यकर्ता भी इधर-उधर हो गए।
तहरी खूब खाई लेकिन वोट नहीं दिया
पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ ने कर्मचारियों के कई काम कराए। मंडल में कई बार तहरी भोज कराया। यहां तक मंडल में कहीं भी कर्मचारी को खून की जरूरत हुई तो उसे खून भी दिलवाया लेकिन परिणाम आया तो उसके किसी काम को कर्मचारियों ने उपयुक्त नहीं पाया। श्रमिक संघ को मंडल में तीन सौ वोट भी नहीं मिले है।
पुरानी पेंशन दिलाने का मुद्दा छा गया दिलोदिमाग पर
बरेली, अमृत विचार: चुनाव में एनईआरएमएस की ओर से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दिलाने की घोषणा कर्मचारियों के दिलोदिमाग पर अंत तक छाई रही। माना जा रहा है कि इसी मुद्दे ने चुनाव में बड़ा उलटफेर किया। नरमू भी पुरानी पेंशन को सही ठहराती रही लेकिन कर्मचारियों ने उस पर भरोसा नहीं किया। बैलेट पेपर से हुए इस चुनाव ने यह भी दर्शा दिया है कि कर्मचारी सरकार से संतुष्ट नहीं हैं।
एनईआरएमएस ने चुनाव प्रचार के दौरान कर्मचारियों से कई वादे किए। इनमें कर्मचारियों को हूबहू पुरानी पेंशन दिलाने का मुद्दा सबसे प्रमुख था जिसे कर्मचारियों के बीच लपक लिया गया। भाजपा और संघ विचारधारा वाली यूनियन पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ ने चुनाव में दूसरे संगठनों का समर्थन लेने में तो सक्रियता दिखाई लेकिन कर्मचारियों के नजदीक जाने में दिलचस्पी नहीं ली। उत्तेजक भाषण देकर जरूर कर्मचारियों को लुभाने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं बनी।
पीआरएसएस ने भाषणों में पुरानी पेंशन दिलाने का वादा किया। लेकिन कर्मचारियों का कहना था कि केंद्र सरकार ने जब पुरानी पेंशन को लागू करने का प्रस्ताव किया तब तो पीआरएसएस का विरोध काम नहीं आया, अब वह पुरानी पेंशन कैसे दिला पाएगा। नरमू ने यूपीएस को सही ठहराया तो नए कर्मचारी उससे छिटक गए।
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