डायबिटीज के साथ दूसरी बीमारियां मिलती है फ्री, अपने दिला का रखें ख्याल

डायबिटीज के साथ दूसरी बीमारियां मिलती है फ्री, अपने दिला का रखें ख्याल

लखनऊ, अमृत विचार: डायबिटीज सिर्फ अकेले नहीं आती बल्कि अपने साथ कई सारी बीमारियां लेकर आती हैं। डायबिटीज बीमारियों का एक कटोरा होता है। इसके बढ़ने से गुर्दा, लिवर, दिल, आंख समेत दूसरे अंग भी काफी असर होता है। इसलिए डायबिटीज पर काबू पाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें। नियमित कसरत करें, वजन न बढ़ने दें। फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक और तली वस्तुओं का अत्यधिक सेवन भी डायबिटीज का कारण है, इसके सेवन से बचें। ये सलाह लोहिया संस्थान में इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मनीष गुच्छ ने कार्यशाला में दी।

लोहिया संस्थान के प्रेक्षागृह में डायबिटीज और उससे होने वालों खतरों पर गुरुवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें केजीएमयू मेडिसिन एवं गुर्दा रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमके मित्रा ने कहा कि भारतीयों में डायबिटीज यूरोपियन देशों के लोगों की अपेक्षा 10 वर्ष पूर्व हो जाती है। डायबिटीज के कारण दिल की बीमारी भी यूरोपियन देशों के लोगों की अपेक्षा 10 वर्ष पूर्व हो जाती है। डॉ. आशीष झा ने कहा कि डायबिटीज और दिल के रोगों से बचाव के उपाय करें।

लोहिया संस्थान में मेडिसिन विभाग की डॉ. ऋतु करोली ने कहा कि डायबिटीज जिस प्रकार हमारे देश के हर घर में फैल रही है, उसका बचाव जीवनशैली व खानपान में परिवर्तन कर नियंत्रण किया जा सकता है। कार्यक्रम में डॉ. अरविन्द सिंह, डॉ. अमित कौशिक, डॉ. मनीष राज कुलश्रेष्ठ, डॉ. भुवन चन्द तिवारी, डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ, डॉ. पीके मौर्या, डॉ. निखिल गुप्ता, डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. मृदु सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, डॉ. ज्योति पंकज, डॉ. पंकज वर्मा तथा डॉ. अनिल उपाध्याय ने हिस्सा लिया।

प्लास्टिक के कप पहुंचा रहे किडनी को नुकसान

पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग की डॉ. अनुपमा कौल ने कहा कि प्लास्टिक के नैनो पार्टिकल किडनी को नुकसान पहुंचा रही है। लोग पन्नी में चाय ला रहे हैं। डिब्बा बंद भोजन खा रहे हैं। इससे लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कैमिकल का प्रयोग कर रहे हैं। इससे भी किडनी समेत दूसरे अंगों पर विपरीत असर पड़ रहा है।

डायबिटीज (मधुमेह) एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। यह बीमारी मुख्यतः इंसुलिन की कमी या उसकी प्रभावी उपयोग में समस्या के कारण होती है। डायबिटीज दो प्रकार की होती है:

टाइप 1 डायबिटीज – यह तब होती है जब शरीर इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है।
टाइप 2 डायबिटीज – यह तब होती है जब शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है, लेकिन इसका उपयोग ठीक से नहीं कर पाता।

डायबिटीज के लक्षण

बार-बार प्यास लगना – शरीर में शुगर के उच्च स्तर के कारण पानी की कमी होती है, जिससे प्यास ज्यादा लगती है।
अधिक पेशाब आना – शुगर के उच्च स्तर के कारण गुर्दे अधिक काम करते हैं और अधिक पेशाब आता है।
थकावट और कमजोरी – शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती, जिससे थकावट और कमजोरी महसूस होती है।
भूख में वृद्धि – शरीर के ऊतकों में पर्याप्त ग्लूकोज नहीं पहुंचता, जिससे भूख अधिक लगती है।
वजन में गिरावट – शुगर का स्तर बढ़ने से शरीर अपनी ऊर्जा के लिए फैट और मसल्स को तोड़ता है, जिससे वजन कम हो सकता है।
धुंधली दृष्टि – उच्च रक्त शर्करा के कारण आंखों की लेंस में तरल का स्तर बदल सकता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो सकती है।
घावों का धीमी गति से ठीक होना – शरीर में शुगर का अधिक स्तर घावों को ठीक होने में समय लेता है।
झुनझुनी और सूजन – हाथों और पैरों में झुनझुनी या सूजन महसूस हो सकती है।

डायबिटीज के कारण

अनुवांशिक (जेनेटिक) – यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है।
अत्यधिक वजन – अधिक वजन और मोटापा शरीर के इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है।
बेहद कम शारीरिक गतिविधि – शारीरिक गतिविधि की कमी से शरीर के इंसुलिन की प्रतिक्रिया में कमी आ सकती है।
असंतुलित आहार – उच्च शर्करा और वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है।
हॉर्मोनल असंतुलन – कुछ हॉर्मोनल समस्याएं जैसे पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) या उच्च रक्तचाप डायबिटीज का कारण बन सकती हैं।
वृद्धावस्था – जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर का इंसुलिन उपयोग कम हो सकता है।
तनाव (स्ट्रेस) – मानसिक तनाव और चिंता भी रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।

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