प्रयागराज: नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव की शिकायत के खिलाफ जुबैर ने दाखिल की याचिका
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार और तथ्य-जांचकर्ता मोहम्मद जुबैर ने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद के समर्थकों की शिकायत पर गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है। यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में दावा किया गया है कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का वीडियो क्लिप पोस्ट किया, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को उनके खिलाफ भड़काना था।
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने पुजारी के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाओं को भड़काने के लिए एक्स पर संपादित क्लिप पोस्ट की, जिसमें पैगंबर मुहम्मद पर नरसिंहानंद की कथित भड़काऊ टिप्पणी शामिल थी। अपने एक्स पोस्ट में उन्होंने नरसिंहानंद के कथित भाषण को 'अपमानजनक और घृणास्पद' बताया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में नरसिंहानंद के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ। यति नरसिंहानंद की करीबी सहयोगी और यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव डॉ. उदिता त्यागी ने 5 अक्टूबर 2024 को पुलिस आयुक्त, गाजियाबाद के समक्ष दर्ज शिकायत में डासना देवी मंदिर में उपद्रवियों के कृत्यों के लिए जुबैर, अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी को दोषी ठहराया।
जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 196, 228, 299, 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज कराया गया। जुबैर ने याचिका को खारिज करने और बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका के तथ्यों के अनुसार जुबैर ने अपने एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया था और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी और उनका इरादा दो वर्गों के बीच वैमनस्यता या दुर्भावना को बढ़ावा देना नहीं था। उन्होंने बीएनएस के तहत मानहानि के प्रावधान को भी इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद का संपादित वीडियो, जो पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में हैं, उसे साझा करके उचित कार्रवाई की मांग करना मानहानि का मुद्दा नहीं हो सकता है। जुबैर ने आगे तर्क दिया कि उनके खिलाफ एफआईआर यति नरसिंहानंद की आपराधिक गतिविधियों को उजागर करने से रोकने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास है। इस मामले की सुनवाई 21 नवंबर को होने की संभावना है और इसे न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है ।
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