Exclusive: जनता के पैसे की बर्बादी बना जीआईएस सर्वे; नगर निगम आंकड़ों के फेर में उलझा, जनता गृहकर बिलों के लिए परेशान
नई और मिलान नहीं होने वाली संपत्तियों को खोजेंगे 100 कर्मचारी
कानपुर, अभिषेक वर्मा। गृहकर का नए सिरे से निर्धारण और आय बढ़ाने के लिए नई संपत्तियां खोजने के लिए कराए गए जीआईएस सर्वे से जनता तो परेशान है ही, नगर निगम खुद भी आंकड़ों के पहाड़े में ऐसा उलझ गया है, जिसका ओर-छोर तलाशे नहीं मिल रहा है।
सर्वे के मुताबिक नगर निगम सीमा में कुल संपत्तियों की संख्या 6,24,386 है, लेकिन नगर निगम के पोर्टल पर 4,48,000 संपत्तियां ही दिख रही हैं। अब 1,76,386 संपत्तियां कहां हैं निगम को भी नहीं पता है। इसी की खोजबीन के लिए नए सिरे से प्रयास करने का फैसला हुआ है। सर्वे मंद मोटी रकम खर्च करने के बाद अब फिर से जांच में 100 कर्मचारी लगाने का फैसला हुआ है। इसका खर्च भी जनता के पैसे से होगा।
नए सिरे से गृहकर निर्धारण के लिए जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) सर्वे में हुई गड़बड़ियां नगर निगम के गले का फांस बन गई हैं। संपत्तियों का सर्वे करने वाली संस्था आईटीआई लिमिटेड के आंकड़ों में तमाम गड़बड़ियां मिली हैं। संस्था ने जिन नई ढाई लाख से अधिक संपत्तियां खोजने का दावा किया है, जांच में लगभग आधी पहले से ही निगम के पोर्टल पर दर्ज मिली हैं।
कुल संपत्तियों में भी 1.76 लाख का अंतर है। ऐसे में सर्वेक्षण कंपनी की लापरवाही से पैदा हुई समस्या दूर करने के लिये अब नगर निगम 100 कर्मचारियों को लगाएगा। नगर आयुक्त के आदेश पर मुख्य कर निर्धारण अधिकारी ने संपत्तियों के मिलान के लिए कार्मिक विभाग से कर्मचारी उपलब्ध कराने को कहा है।
शासन से नामित संस्था ने नगर निगम की गृहकर मद में आय बढ़ाने के लिए जीआईएस सर्वे किया था। इस दौरान नगर निगम ने जोनवार अफसरों को लगाया, ताकि एक-एक संपत्ति का निरीक्षण के साथ सत्यापन और आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों का मिलान हो सके। संस्था ने सर्वे के बाद जून माह में रिपोर्ट दी। इसके अनुसार नगर निगम क्षेत्र में कुल 2,13,960 संपत्तियों का मिलान हुआ है।
67,730 संपत्तियों का मिलान नहीं हो सकता है। सर्वे में 70,945 प्लॉट भी सामने आये हैं। संस्था के अनुसार 2,71,751 नई संपत्तियां खोजी गई हैं, इनसे निगम की आय बढ़ेगी। इस तरह संस्था के अनुसार नगर निगम सीमा में 6,24,386 संपत्तियां हैं।
जांच में अधिकारियों ने पकड़ा गड़बड़झाला
अपर नगर आयुक्त ने सर्वे रिपोर्ट की जांच कराई तो पता चला कि निगम के सॉफ्टवेयर में 4,48,000 संपत्तियां प्रदर्शित हो रही हैं। इस तरह 1,76,386 संपत्तियों का अंतर मिला। इसके साथ ही संस्था द्वारा प्रदर्शित 2,71,751 नई संपत्तियों में 50 प्रतिशत निगम के अभिलेखों में पहले से ही दर्ज मिलीं, इनसे गृहकर की वसूली भी हो रही है।
कैंप लगाकर करना पड़ा संशोधन
जीआईएस सर्वे में लापरवाही से लोगों का गलत कर निर्धारण हो गया। शहर भर में लोग नये बढ़े हुए गृहकर बिलों से परेशान हैं। आवासीय संपत्ति में व्यावसायिक कर वसूली के बिल जेनरेट हो गये हैं। जो लोग बिल जमा कर चुके हैं उनको नये सर्वे के अनुसार बिल भेजे जा रहे हैं।
तमाम गृहकर बिलों में तो 50 फीसदी तक बढ़ोत्तरी कर दी गई है। ऐसे भी मामले सामने आये हैं, जिनमें खाली प्लॉट पर बिल भेज दिये गये। इन्हीं समस्याओं को लेकर लोग जोनल कार्यालयों में भटक रहे हैं। नगर निगम मुख्यालय में कैंप लगाकर संशोधन करना पड़ रहा है।
नगर आयुक्त के आदेश पर लगेंगे कर्मचारी
नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने आदेश दिया है कि संस्था के सर्वेक्षण कार्यों में नई और मिलान नहीं होने वाली संपत्तियों का जोनवार मिलान कराया जाए। इसके लिए 25 कर्मी सीएफसी (नागरिक सुविधा केन्द्र) में तैनात किये जाएंगे। 75 आउटसोर्स कर्मचारी सर्वेक्षण की विसंगतियों को दूर करने का काम करेंगे।
भवन के लिए 272 करोड़ मंजूर
ख्यौरा बांगर में बनने वाले आयकर विभाग के प्रत्यक्ष कर भवन के निर्माण की कवायद तेज हो गई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष कर भवन के निर्माण के लिए 272 करोड़ मंजूर कर दिए हैं। मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी घनश्याम कुमार की ओर से राशि मंजूरी का पत्र जारी किया गया। विभागीय कार्यालयों के अलावा टाइप सेकेंड, थर्ड और फोर्थ स्तर के क्वार्टर भी इस राशि से तैयार किए जाएंगे। एमएसटीयू सेटअप भी बजट की राशि से तैयार किया जाएगा।