Prayagraj News : मृत कर्मचारियों के परिवारीजनों की परेशानी के प्रति उदासीन अधिकारियों को लगाई फटकार
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिवंगत सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्त परिलाभों के बकाया भुगतान के प्रति राज्य अधिकारियों की उदासीनता पर चिंता जताते हुए कहा कि सेवानिवृत्त बकाया राशि के भुगतान में देरी का कारण संबंधित अधिकारियों की उदासीनता है। अधिकारियों से कानून के अनुसार तत्परता और सहानुभूति के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकारी कर्मचारियों के प्रति अधिकारी असंवेदनशील हो गए हैं, इसीलिए कर्मचारियों के परिवारीजनों की दुर्दशा और परेशानी उन्हें दिखाई नहीं देती।
उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने कृष्णावती की याचिका को स्वीकार करते हुए, साथ ही मृत कर्मचारी की पेंशन और अन्य टर्मिनल बकाया राशि के विलंबित भुगतान के लिए याची को 8% प्रतिवर्ष ब्याज का 3 महीने के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने 18 अगस्त 2005 से 23 दिसंबर 2019 तक ब्याज राशि के भुगतान का निर्देश दिया है और यह भी स्पष्ट किया कि अगर उक्त अवधि के भीतर राशि जारी नहीं की जाती है तो संबंधित अधिकारी 3 महीने के बाद ब्याज के विलंबित भुगतान के लिए उत्तरदायी होंगे। दरअसल वर्ष 2005 में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो गई।
पति की मृत्यु के बाद लंबे समय तक बकाया राशि का भुगतान न होने पर कर्मचारी की पत्नी ने याचिका दाखिल की, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि बकाया राशि को सक्षम अधिकारियों द्वारा अगस्त 2005 में ही प्रमाणित और सत्यापित कर दिया गया, लेकिन उनकी पत्नी को दिसंबर 2019 तक बकाया राशि प्राप्त नहीं हुई। अतः उन्होंने अवमानना याचिका दाखिल की। कोर्ट ने अधिकारियों के ऐसे लापरवाह रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दबंग अधिकारियों द्वारा मृत कर्मचारियों के परिवार को उसके अधिकारों के लिए परेशान नहीं किया जा सकता है। विपक्षियों की उदासीनता के कारण कर्मचारी की पत्नी की दुर्दशा हो गई। अंत में कोर्ट ने कर्मचारी के लंबित भुगतान को शीघ्र निस्तारित करने का आदेश दिया।
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