बरेली: बॉयोइनफॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में क्रांति लाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

बरेली कॉलेज में कार्यशाला में विशेषज्ञों ने साझा की तकनीकी जानकारी

बरेली: बॉयोइनफॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में क्रांति लाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

बरेली, अमृत विचार। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बॉयोइनफॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में आधुनिक क्रांति के युग की शुरुआत हुई है। पहले तमाम विश्लेषण को अलग-अलग माध्यम से इकट्ठा करना मुश्किल होता था। अब एआई की मदद से ये विशेषण आसानी और सटीकता के साथ उपलब्ध है। ये बातें शनिवार को डॉ. रमेश कुमार सिंह ने बरेली कॉलेज के बायोटेक विभाग में चल रही राष्ट्रीय कार्यशाला में कहीं।


उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि बॉयोइनफॉर्मेटिक्स के माध्यम से बॉयोलॉजिकल डाटा तैयार किया जाता है, जिसे ड्रग डिजाइनिंग, टारगेट, बॉयोलॉजिकल एनालिसिस में प्रयोग किया जाता है। डीएनए लैब क्रिस देहरादून से आए डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बॉयोटेक के छात्र-छात्राओं से विज्ञान के क्षेत्र में कई स्टार्टअप के बारे में जानकारी साझा की। नई दवाओं या उपचारों का अनुसंधान और विकास, जीन थेरेपी, बायोफार्मास्यूटिकल्स, वैक्सीन, बॉयोलॉजिकल उत्पादों का निर्माण समेत अन्य विकल्प पर चर्चा की।

हिमाचल की डीएनए लैब से आईं डॉ. अंकिता सिंह ने बताया कि मानव शरीर में बाहर से आए वायरस और बैक्टीरिया के प्रवेश की जानकारी के लिए डीएनए आइसोलेशन आवश्यक प्रक्रिया है। उन्होंने बॉयोटेक के विद्यार्थियों का प्रैक्टिकल भी कराया। इस दौरान ब्लड सैंपल से डीएनए एक्सट्रैक्ट कर जेनेटिक स्टडी और आइडेंटिफिकेशन आरडीटी के साथ क्लोनिंग की प्रक्रिया कराई गई।


विद्यार्थियों ने की ओवेरियन कैंसर की जांच
डीएनए लैब के शशि भूषण ने विद्यार्थियों को ओवरियन कैंसर की जांच प्रक्रिया के बारे में बताया। इस दौरान छात्रों ने सैंडविच एलाइजा से कैंसर मार्कर एंटीजन सीए (125) की जांच की। इसमें ब्लड से सीरम अलग करने वाशिंग समेत अन्य प्रक्रिया के जरिए ओवरियन कैंसर की जांच की गई। एलाइजा रीडर मशीन से रीडिंग नापी गई।