आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
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केंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का लगभग सफाया हो गया है। आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर बनाने के लिए सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक नीति और रणनीति के जरिए नागरिकों और सैनिकों के बीच संबंध मजबूत बने हैं। रणनीति आतंकवादियों के बढ़ते खतरे पर नियंत्रण स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।  

सुरक्षाबल पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में 720 आतंकवादियों को मार गिराने में सक्षम हुए हैं। सुरक्षा बलों ने आतंकवाद के खिलाफ अहम सफलताएं हासिल की हैं। राज्य में हर 5वें दिन सुरक्षाबल एक आतंकी को ढेर कर रहे  हैं।  2024 की शुरुआत से अब तक 64 आतंकवादी मारे गए, जिसमें 42 विदेशी आतंकवादी शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में आतंकवादी हिंसा और सीमापार से घुसपैठ में कमी आई है लेकिन घटनाएं पूरी तरह से रुक नहीं पाईं हैं।

महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार के निरंतर और समन्वित प्रयासों के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का इकोसिस्टम लगभग खत्म हो गया है। आतंकवाद के इकोसिस्टम से निपटने के लिए, नई आतंकवाद रोधी नीति में सिर्फ आतंकियों के ख़िलाफ कार्रवाई ही नहीं, बल्कि उनके पूरे इकोसिस्टम से निपटने का प्रावधान भी किया गया। उम्मीद की जा सकती है कि आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को जल्द ही हासिल कर लिया जाएगा।

अधिकारियों के मुताबिक गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के बेहिबाग क्षेत्र स्थित कद्देर गांव में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली। कुलगाम में पांच हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादियों की मौत के साथ ही एकमात्र जीवित स्थानीय आतंकवादी समूह लगभग समाप्त हो गया है। सरकार व सुरक्षाबल लोगों का भरोसा जीतने में सफल रहे।  

सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति के तहत जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्ति के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराए। साथ ही चुनावों में जम्मू-कश्मीर के लोगों की अभूतपूर्व भागीदारी से पता चलता है कि उनका देश के लोकतंत्र पर पूरा विश्वास है। 

आतंकवाद के इकोसिस्टम से निपटने के लिए सभी राज्यों में विशेष यूनिट बनाई हैं। इन यूनिटों का मकसद युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकना है। इससे युवाओं की आतंकवादी समूहों में भर्ती में गिरावट आई है। वास्तव में भारत के अंदर आतंकवाद से लड़ने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार हुआ है। हालांकि, अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। सुरक्षा उपकरणों के आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान दिए जाने के साथ ही सीमापार से घुसपैठ रोकने के लिए भी बहुआयामी रणनीति पर काम करना होगा।