भाई और दोस्त संग मिलकर चला रहा था Fake call center : 6 दिन पहले तमिलनाडु और तेलंगाना पुलिस की सूचना पर हुई छापेमारी

भाई और दोस्त संग मिलकर चला रहा था Fake call center : 6 दिन पहले तमिलनाडु और तेलंगाना पुलिस की सूचना पर हुई छापेमारी

लखनऊ, अमृत विचार: फर्जी कॉल सेंटर की आड़ में नौकरी दिलाने के नाम पर 150 से अधिक बेरोजगारों को ठगने जालसाज शुभेंद्र तिवारी को गाजीपुर पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया। शुभेंद्र अपने भाई विपुल तिवारी और दोस्त आशीष के साथ मिलकर कॉल सेंटर चला रहा था। यह लोग बेरोजगारों से 2 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन के नाम पर लेते थे। इसके बाद 35-40 हजार तक वसूलते थे। पुलिस विपुल तिवारी और आशीष की तलाश में छापेमारी कर रही है।

एडीसीपी साइबर क्राइम सेल अमित कुमावत ने बताया कि पुलिस ने शुभेंद्र के पास से 53 की-पैड मोबाइल, 102 वर्क डाटाशीट, एक स्कॉर्पियो कार, एक्टिवा, लैपटाप और अन्य सामान बरामद किया है। गिरफ्तार आरोपी शुभेंद्र हरदोई जनपद के बिलग्राम का रहने वाला है। वह लेखराज मेट्रो स्टेशन स्थित गोयल प्लाजा के तीसरे तल पर करीब 6 माह से फर्जी कॉल सेंटर ऑपरेट कर रहा था। एडीसीपी ने बताया कि तमिलनाडु और तेलंगाना पुलिस की सूचना पर फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया।

आरोपी शुभेंद्र ने कबूला कि वह नौकरी डॉटकाम, शाइन डॉटकाम, फाउंडिट डॉट इन वेबसाइट से सिर्फ दक्षिण भारत के बेरोजगारों का डेटा लेता था। उसे लगता था कि जब तक साउथ की पुलिस एक्टिव होगी, तब तक वे गायब हो जाएंगे। उसकी इसी सोच ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। करीब 6 पहले शिकायत मिलने पर तमिलनाडु और तेलंगाना पुलिस ने लखनऊ पुलिस से संपर्क कर जालसाजों के नंबर दिए। जिसके बाद लोकेशन ट्रेस कर साइबर और सर्विलांस सेल की टीम ने फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया।

कार्पोरेट सेटअप में लड़कियों का था ड्रेस कोड

आरोपी ने कबूला कि किसी को शक न हो, इसलिए उसने कॉल सेंटर का पूरा सेटअप कार्पोरेट की तरह रखा था। यही नहीं वहां टेलीकॉलर के रूप में नौकरी करने वाली युवतियों का आसमानी शर्ट और नीली पैंट का ड्रेस कोड निर्धारित कर रखा था।

फर्राटेदार अंग्रेजी में लिया जाता था इंटरव्यू

अमूमन इंटरव्यू के समय शुभेंद्र समेत दो लोग लड़कियों को लैपटाप देकर सामने बैठाता था। बेरोजगारों से फर्राटेदार अंग्रेजी में इंटरव्यू लिया जाता था। इंटरव्यू के बाद जरूरी दस्तावेज लेकर सिक्योरिटी मनी के नाम पर प्रति शख्स से 20 हजार रुपये जमा कराता था। कॉल लेटर मिलने के बाद जब पीड़ित कंपनी जाता तो उसे अधिकारी फर्जी नियुक्तिपत्र की बात कहकर ज्वानिंग कराने से मना कर देते थे।

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