Ayodhya news : मनुष्यता का इतिहास वस्तुतः यात्राओं का इतिहास है : प्रो. सदानंद शाही
अयोध्या, अमृत विचार: प्रो. सदानंद शाही के नेतृत्व में बुद्ध परिपथ की यात्रा 'चरथ भिक्खवे' का एक पड़ाव अयोध्या-फ़ैज़ाबाद में हुआ। यहाँ जनवादी लेखक संघ एवं शहीद भगत सिंह स्मृति न्यास के संयोजन में आतिथ्य एवं संवाद का कार्यक्रम बाईपास स्थित एक रेस्टोरेंट के सभागार में किया गया।
दस दिवसीय यह यात्रा सारनाथ से प्रारंभ होकर बुद्ध परिपथ की यात्रा पूरी करेगी। अयोध्या से आगे यह कौशांबी की तरफ़ जायेगी। इस अवसर पर आयोजित संवाद-कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो. सदानंद शाही ने बुद्घ के दर्शन की सार-पंक्ति “चरथ भिक्खवे” को व्याख्यायित करते हुये विगत दिनों की यात्रा का संक्षिप्त विवरण दिया। साथ ही उन्होंने मगध-साम्राज्य में बौद्ध धर्म को केंद्र के रूप में स्थापित करते हुये यह बताया कि कोई भी नगर किसी एक नाम से नही जाना जाता उसका पूरा इतिहास वहाँ की जनता, नदी, जल, जंगल और पहाड़ों से जुड़ा होता है। आलोचक-कवि रघुवंशमणि ने अयोध्या को अश्वघोष की धरती के रूप में याद करते हुए राहुल सांकृत्यायन का ज़िक्र किया और कहा कि साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्राएँ खुली होती हैं और उनमें अनुभवों और विचारों के आत्मसातीकरण का स्पेस होता है।
डॉ रामसुधार सिंह ने एक रोचक जातक कथा के माध्यम से बौद्ध दर्शन को स्पष्ट किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. विशाल श्रीवास्तव ने अयोध्या की पृष्ठभूमि में जैन धर्म, बौद्ध धर्म और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के संदर्भों पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ कवि एवं आलोचक रंजना अरगड़े ने बौद्ध धर्म की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला। कहा कि पुरातत्वविद् राममंदिर के नीचे बौद्ध धर्म से जुड़े साक्ष्यों पर प्रायः बात करते हैं। पत्रकार केपी. सिंह ने कहा कि इतिहास में बहुत सी यात्राएँ हुई हैं, उनसे अलग यह यात्रा बुद्ध के बताए हुये शान्ति के मार्ग का अनुसरण करते हुये बढ़ रही है। जेएनयू के प्रो. सुधीर प्रताप सिंह ने यात्रा का स्वागत करते हुये कहा कि सभी धर्मों में मनुष्यता की ही बात कही गई है और व्यक्ति को इसे ही आत्मसात करके आगे बढ़ना चाहिये।
कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने अयोध्या के बौद्घ धर्म से जुड़े होने को लेकर कहा कि आधुनिक अयोध्या अपने प्राचीन स्वरूप से बहुत बदल चुकी है, इस पर कॉर्पोरेट और व्यवसायिक लोगों का वर्चस्व स्थापित हो गया है। कार्यक्रम के समापन में वरिष्ठ कवयित्री एवं अनुवादक गगन गिल जी ने अपनी चर्चित कविता अँधेरे में बुद्ध का पाठ करते हुये किया। अवधी के प्रसिद्ध कवि आशाराम जागरथ जी ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य जनवादी लेखक संघ के कार्यकारी सचिव मुजम्मिल फ़िदा ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शहीद भगत सिंह स्मृति ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्यभान सिंह जनवादी ने किया।
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