बरेली: खानकाह-ए-नियाजिया में दिखा रूहानी नजारा, रोशन हुए मन्नतों के चिराग

250 साल पुरानी परंपरा के मुताबिक गंगा जमुनी तहजीब के साथ मनाया जश्न-ए-चिरागां

बरेली: खानकाह-ए-नियाजिया में दिखा रूहानी नजारा, रोशन हुए मन्नतों के चिराग

बरेली, अमृत विचार। खानकाह-ए-नियाजिया में सोमवार शाम रूहानी नजारा देखने को मिला। खानकाह के परिसर में जश्न-ए-चिरागां का आयोजन किया गया। हजारों चिराग एक साथ रोशन हुए। करीब 250 साल पुरानी परंपरा के मुताबिक यहां आने वाले अकीदतमंदों ने मन्नतों के चिराग रोशन किए। जिसमें क्या हिंदू क्या मुसलमान, हर कोई इस रूहानी अयोजन में शामिल होने को बेताब दिखा।

ख्वाजा कुतुब स्थित खानकाह में मन्नतों के चिराग रोशन करने के लिए महिलाएं और पुरुष कतारों में लगे नजर आए। सज्जादानशीन मेहंदी मियां ने चिराग बांटने का सिलसिला शुरू किया, जिसके बाद इस मुकद्दस रस्म का आगाज हुआ। ये सिलसिला रात तक चलता रहा। खानकाह के प्रबंधक जुनैदी मियां ने बताया कि अबसे करीब 250 साल पहले खानकाह के सूफी बुजुर्ग हजरत शाह नियाज बेनियाज ने गौस पाक की बिशारत के बाद इस परंपरा को शुरू किया था। मान्यता है कि चिराग रोशन करने वाले की मुराद एक साल के अंदर पूरी हो जाती है। उन्होंने बताया कि हिंदू और मुसलमान इस चिरागां की रस्म का साल भर इंतजार करते हैं।

निजामुद्दीन औलिया का हुआ कुल
इस दौरान हजर निजामुद्दीन औलिया के कुल की रस्म भी अदा की गई। सज्जादानशीन मेहंदी मियां ने मुल्क व कौम के लिए दुआ की। अकीदतमंदों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाया गया था। गौस पाक की शान में मनकबत पढ़ी जाती रहीं। जुनैदी मियां ने सारी व्यवस्थाएं संभालीं और कासिम नियाजी आदि का विशेष सहयोग रहा।