बरेली : 1880 से अब तक 3 बार क्षतिग्रस्त हो चुका है किच्छा बैराज

बैराज के पानी से बहेड़ी के खेतों को होती है सिंचाई

बरेली : 1880 से अब तक 3 बार क्षतिग्रस्त हो चुका है किच्छा बैराज

बरेली, अमृत विचार। कुमाऊं के पहाड़ों से आने वाली ज्यादातर नदियों का पानी उत्तराखंड के किच्छा बैराज से होकर यहां तक पहुंचता है। बैराज की सबसे अधिक उपयोगिता उत्तराखंड सहित बरेली के भी कई तहसीलों के लिए अहम है। जिले में सबसे ज्यादा बहेड़ी, नवाबगंज और फरीदपुर क्षेत्र में इसी बैराज के पानी से खेतों की सिंचाई नहरों के जरिए होती है। लेकिन 2021 में आई भीषण बाढ़ की वजह से बैराज का 80 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। उम्मीद थी की बैराज का निर्माण जल्द करा कर नहरों में पानी छोड़ा जाएगा लेकिन तीन साल बाद भी बैराज का पुर्ननिमार्ण अभी तक नहीं हो पाया है। अधिकारियों का कहना है 1880 में निर्मित बैराज में 1960 - 1970 के बीच गेट लगाए गए थे। उसके बाद से अब तक  1993, 2010, 2021 और में बैराज बूरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था। बैराज के निमार्ण के लिए तमाम उच्च संस्थाओं से राय मांगी जा रही है। 

-किच्छा से  40 फीट ऊपर है गोला बैराज  
बरसात के दिनों में बैराज में सर्वाधिक पानी गोला बैराज से ही छोड़ा जाता है। विभागीय जानकारों की मानें तो गोला बैराज की क्षमता 1.40 क्यूसेक है जबकि किच्छा की क्षमता महज 1.15 ही है। इसके अलावा इसमें करीब 40 किमी तक के क्षेत्र का पानी भी समाहित होता है। बरसात के दिनों में पहाड़ों से छोड़े जाने वाले पानी का प्रवाह बेहद तेज और अनियंत्रित होता है। गोला से आने वाला पानी बेनी नदी के पानी के साथ मिलकर और अनियंत्रित हो जाता है। नतीजतन, पानी का दबाव अधिक होने के कारण तमाम उपायों के बाद भी क्षतिग्रस्त हो जाता है। पिछले साल ही रुहेलखंड नहर खंड की ओर से किच्छा नदी के पानी को नियंत्रित करने के लिए कच्चे बांध का निर्माण कराया गया था लेकिन इस साल आई बाढ़ की वजह कच्चा बांध भी अब बूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। अधिकारियों के मुताबिक गोला बैराज किच्छा बैराज के सापेक्ष 40 फीट ऊंचाई पर बना है। वहां से पानी छोड़े जाने पर बहुत तेजी से किच्छा बैराज में पानी पहुंचता है। 

-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी से मांगी राय 
रुहेलखंड नहर खंड के सहायक अभियंता वैभव वाजपेयी ने बताया कि बैराज के निर्माण के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान ) से राय मांगी गई है। इधर, राज्य व केंद्रिय स्तर पर बैराज निर्माण को लेकर मंथन किया जा रहा है। उम्मीद है कि बैराज का डिजायन इस साल के अंत तक तैयार करा लिया जाएगा।

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