छात्रों के कैमरे में कैद हुए विरासत से जुड़े अनछुए पहलू, नेशनल पीजी कॉलेज में टेक—वन डॉक्यूमेंट्री फेस्ट का आयोजन

छात्रों के कैमरे में कैद हुए विरासत से जुड़े अनछुए पहलू, नेशनल पीजी कॉलेज में टेक—वन डॉक्यूमेंट्री फेस्ट का आयोजन

लखनऊ, अमृत विचार। नेशनल पीजी कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने टेक—वन डॉक्यूमेंट्री फेस्ट 2024 का आयोजन किया। जिसका मूल आधार हमारी विरासत रही। फेस्ट 2024 का उद्घाटन सुधीर मिश्रा और राज्य संग्रहालय में डेकोरेटिव आर्ट विभाग की अध्यक्षा डॉ. मीनाक्षी खेमका ने किया।

सुधीर मिश्रा ने छात्रों की डॉक्यूमेंट्री पर चर्चा करते हुये कहा कि डॉक्यूमेंट्री कम अवधि की और रोचक होनी  चाहिए। उन्होंने छात्रों को डॉक्यूमेंट्री बनाने से पहले उसकी विस्तृत प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिये प्रेरित किया। कॉलेज के प्राचार्य और कार्यक्रम के संरक्षक प्रो. देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि लखनऊ बहुत पुराना शहर है। इसकी विरासत की जड़े बहुत गहरी हैं। छात्र पहले रिसर्च करें, इसकी जड़ों को खोजे फिर डॉक्यूमेंट्री बनाएं। उन्होंने लखनऊ को उत्तर प्रदेश की प्रमुख केंद्र के रूप में ध्यान आकर्षित करते हुये कहा कि कामना रहेगी कि छात्र लखनऊ को समझ सकें और लखनऊ को जी सकें। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता किसी भी विषय की गहराई में जाकर प्रस्तुत करने की कला है।

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राज्य संग्रहालय में डेकोरेटिव आर्ट्स विभाग की प्रमुख डॉ. मीनाक्षी खेमका ने लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब के बारे में बात करते हुये कहा कि अवध सिर्फ मुगलों और नवाबों का शहर नहीं है, ये राम का शहर भी है। उन्होंने कहा कि लखनऊ शहर को बहुत बारीकी से घूमना चाहिए। ताकि सृजनात्कता और अधिक निखर कर आए। उन्होंने छात्रों को राज्य संग्रहालय में आमंत्रित करते हुये कहा कि राज्य संग्रहायल में अब अवध गैलरी को विकसित किया गया।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रमुख प्रो राकेश जैन ने धन्यवाद देते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट्री निर्माण करने वाले छात्र—छात्राओं की सराहना की। साथ ही उन्हें चेताया कि भविष्य में अगर अच्छा काम करना है तो आप सभी को धैर्य के साथ काम करना होगा।

डॉक्यमेंट्री फेस्ट में कुल 11 डॉक्यूमेंट्री को दिखाया गया। स्पेशल कैटेगरी में विभाग के एलुमनी की डॉक्यूमेंट्री लखनऊ का दशहरा और ठुमरी: भावनाओं का संगीत के बीच मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में डॉक्यूमेंट्री का निर्माण करने वाली दोनों ही टीम को विजेता घोषित किया गया। वहीं 9 अन्य फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया। इन फिल्मों में हमारी विरासत, चौक: ख्वाबों की महफ़िल, अनदेखा लखनऊ, लखनऊ तब से अब तक, अस्थि शिल्प: एक खोई हुई कला का पुनर्जन्म, दास्तान—ए—लखनऊ, धागों में छिपी विरासत, सादगी भरा लखनऊ, लखनवी झलक के बीच मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में चौक: ख्वाबों की महफ़िल डॉक्यूमेंट्री का निर्माण करने वाली टीम को विजेता और उपविजेता हमारी विरासत व अस्थि शिल्प: एक खोई हुई कला का पुनर्जन्म घोषित किया गया।  

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कार्यक्रम का संचालन डॉ बुशरा तुफैल ने किया। इस दौरान पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सचिन यादव और असिस्टेंट प्रोफेसर कीर्ति श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। हमारी विरासत से तात्पर्य है कि हम अपने शहर लखनऊ के विभिन्न आयामों को दिखाने का प्रयास करेंगे। लखनऊ की धार्मिक विरासत, ऐतिहासिक इमारतें, खान—पान, बाजार, अस्थिशिल्प, कथक, ठुमरी समेत विभिन्न आयामों को डॉक्यूमेंट्री निर्माता छात्र—छात्राएं अपने सृजनात्मक नजरियें के जरिए कैमरे में उतार सबके समक्ष रखा।

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