Editorial : प्रौद्योगिकी और नैतिकता

Editorial : प्रौद्योगिकी और नैतिकता

अमृत विचार : आधुनिक तकनीक की मदद से हमारी कार्य करने की क्षमता का विस्तार हुआ है, जिससे आधुनिक तकनीक के विकास और उपयोग के संबंध में कई नैतिक मुद्दे सामने आए हैं। नैतिकता और प्रौद्योगिकी ने आधुनिक काल की शुरुआत से ही एक दूसरे को तेजी से प्रभावित किया है। प्रौद्योगिकी की नैतिकता का मतलब है, आधुनिक तकनीक के विकास और इस्तेमाल से जुड़े नैतिक विचारों और निहितार्थों का आकलन करना।

प्रौद्योगिकी की नैतिकता में जिम्मेदारी, जोखिम, न्याय, समानता, और आजादी जैसे विषयों पर ध्यान दिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल दुनिया के लिए वैश्विक नियम और कृत्रिम बुध्दिमत्ता (एआई) के नैतिक इस्तेमाल पर जोर देते रहे हैं। भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज व ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने के उद्देश्य से डिजिटल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया था। देश में डिजिटल इंडिया पहल के नौ वर्ष पूरे हो चुके हैं। वर्तमान में  भारत विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल रूप से जुड़ा लोकतंत्र है। भारत का डिजिटल परिवर्तन उल्लेखनीय रहा है, बेहतर कनेक्टिविटी और तकनीकी क्षमताओं के चलते इसके नागरिकों की डिजिटल तक पहुंच और समावेशिता में वृद्धि हुई है।

भारत की डिजिटल परिवर्तन यात्रा ने समाज के हर पहलू को प्रभावित किया है, जिससे टिकाऊ, सस्ती और परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी के आधार पर सभी के लिए डिजिटल पहुंच, सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी और डिजिटल समावेशन सुनिश्चित हुआ है। डिजिटल इंडिया एक सशक्त भारत का प्रतीक है जिससे लोगों का जीवनयापन और ज्यादा आसान होता जा रहा है एवं पारदर्शिता भी बढ़ रही है। महत्वपूर्ण है कि मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (डब्ल्यूटीएसए) और इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक स्तर पर ऐसी रूपरेखा तैयार करने की जरूरत है, जिसमें कृत्रिम मेधा और प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हों।

वास्तव में आज जितने भी डिजिटल उपकरण और एप्लीकेशंस हैं, वो किसी भी देश की सीमा से परे हैं। साइबर खतरे तेजी  से बदल रहे हैं और हमले के तरीके भी बदलते रहते हैं। इसलिए कोई भी देश अकेले इन खतरों  से अपने नागरिकों की रक्षा नहीं कर सकता। आपस में जुड़ी दुनिया में सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, ग्लोबल संस्थाओं को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठानी होगी। वास्तव में समय आ गया है वैश्विक संस्थाओं को डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए नियम-आधारित रूपरेखा के महत्व को स्वीकार करना होगा।