मुरादाबाद : देश में वाल्मीकि शिक्षा अपनाई जाती तो सोने की चिड़िया रहता भारत, विचार गोष्ठी में बोले कथा वाचक बिडलान

मुरादाबाद : देश में वाल्मीकि शिक्षा अपनाई जाती तो सोने की चिड़िया रहता भारत, विचार गोष्ठी में बोले कथा वाचक बिडलान

आयोजित विचार गोष्ठी में संबोधित करते हैं डॉक्टर अमित सिंह

मुरादाबाद। देश में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायणआधारित शिक्षा अपनाई जाती तो भारत सदैव सोने की चिड़िया जैसा बना रहता। पहले मां सुबह शाम बच्चों को रामायण सुनती थी, महापुरुषों की कहानी बताती थी। लेकिन, आज वह सभ्यता और संस्कार दूर-दूर तक परिवारों में नजर नहीं आते हैं। पश्चिम की संस्कृति भारत में प्रभावी है। यह बातें मंगलवार को हिंदू कॉलेज में आयोजित भारतीय संस्कृति के पितामह, आदि कवि भगवान महर्षि वाल्मीकि के पवन प्रकटोत्सव के क्रम में महर्षि वाल्मीकि विचार गोष्ठी में कथा वाचक रामकुमार बिडलान (संगरूर पंजाब) ने कही। 

उन्होंने कहा कि रावण महा विद्वान था, लेकिन उसके मुख से किसी ने कथा नहीं सुनी। काकभूसुंडी से कथा सुनी गई। इसलिए शिक्षा मिलती है कि विद्वान होना जरूरी नहीं, संस्कार और मर्यादित होना भी आवश्यक है। उन्होंने महर्षि द्वारा रचित रामायण के एक प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि यदि माता कैकई न होती तो रामायण का कोई पत्र नहीं होता। उन्होंने कहा कि केवट कथा से लेकर बाली और सुग्रीव युद्ध, फिर बाली को भगवान श्री राम के द्वारा मारा जाना इसमें भी कहीं न कहीं कैकई ही कारण बनी। 

इस मौके पर डॉक्टर एसबी यादव ने ने कहा कि हर घर में रामायण होनी चाहिए जिससे ज्ञान मिलता है। हम आज पश्चिमी संस्कृति मान रहे हैं उसे पूरे हिंदुस्तान के संस्कार प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग भगवान श्री रामचंद्र को मानते हैं उन सभी के महर्षि वाल्मीकि भगवान हैं। कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर बृजेश तिवारी ने कहा कि रामायण और रामचरित दो ग्रंथ उत्तर भारत के सिरमौर है। कहां रामायण अर्थात राम का घर, राम कथा का घर। उन्होंने कहा कि आदि कवि महर्षि वाल्मीकि को भगवान श्री राम का नाम पहले से पता था, इसीलिए उल्टा नाम जपा और ब्रह्म के समान ऋषि बने। इस मौके पर हिंदू कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सत्यव्रत सिंह रावत वह अन्य वरिष्ठ प्रवक्ता मौजूद रहे।

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