Kanpur: डिजिटल अरेस्ट करने वाले 4 अंतरजनपदीय साइबर ठग गिरफ्तार, गिरोह का सरगना फरार, आरोपी ऐसे करते थे ठगी...

Kanpur: डिजिटल अरेस्ट करने वाले 4 अंतरजनपदीय साइबर ठग गिरफ्तार, गिरोह का सरगना फरार, आरोपी ऐसे करते थे ठगी...

कानपुर, अमृत विचार। चकेरी पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। जहां दुष्कर्म और अपहरण में पकड़कर डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर भोले भाले लोगों से ठगी करने वाले अंतरजनपदीय साइबर ठग गिरोह के चार शातिरों को गिरफ्तार किया गया। इस घटना में गिरोह का सरगना फरार हो गया। 

पुलिस ने आरोपियों के पास से विभिन्न बैंकों के 15 एटीएम कार्ड, 5 मोबाइल और चेक बुक बरामद की है। गिरोह के शातिर प्रधानमंत्री आवास योजना व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देकर भी लोगों से ठगी करते थे। चारों आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया।
   
डीसीपी पूर्वी श्रवण कुमार सिंह ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि पकड़े गए लोगों में सचेंडी के भीमसेन निवासी मुकेश कुशवाहा, मदनलाल, ब्रह्मा और चौबेपुर निगोहा के सदन सिंह शामिल हैं। सभी आरोपी साइबर ठग अंतरजनपदीय गैंग के शातिर हैं। 

यह लोग ग्रामीण इलाकों के लोगों को फर्जी नंबरों से कॉल कर उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना, मुद्रा लोन समेत तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने, झूठे मुकदमे में फंसाने, डिटिजल अरेस्ट और फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर वसूली करके लोगों से बैंक खातों में रुपये डलवाकर ठगी करते थे। 

पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह ग्रामीण इलाकों के लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनके फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड तैयार कर फर्जी खाते खुलवाते थे। इसकी चेक बुक और एटीएम सचेंडी में भीमसेन स्थित पोस्ट आफिस के पते पर मंगा लेते थे। 

इसके बाद आरोपी इनका उपयोग लोगों को ठगने और साइबर ठगी करने में करते थे। एटीएम कार्ड व खाता बंद होने के बाद बेकार एटीएम को वह एटीएम में जाकर लोगों की मदद करने के नाम पर कार्ड बदलकर उनके एटीएम से रुपये निकालकर करते थे। इस घटना में गिरोह का लीडर सचिन उर्फ आनंद और गिरोह के अन्य शातिरों की तलाश की जा रही है। 

महाराष्ट्र और राजस्थान के सिम का करते थे इस्तेमाल

डीसीपी पूर्वी ने बताया कि ट्रू-कालर नंबर के साथ नाम दिखने की वजह से साइबर ठग महाराष्ट्र और राजस्थान के सिम कार्ड इस्तेमाल करते थे। इससे वह पुलिस और अन्य लोगों को चकमा देते थे। जब सिम की डिटेल सामने आती थी, तब तक साइबर ठग रुपये ट्रांसफर कर लेते थे। ठगी गई रकम को ठिकाने लगाने का वक्त मिल सके। इस मामले में पुलिस और शातिरों को पकड़कर खुलासा कर सकती है।

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