अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद को लेकर घमासान : महानिर्वाणी के रवींद्र ने खुद को बताया अध्यक्ष

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद को लेकर घमासान : महानिर्वाणी के रवींद्र ने खुद को बताया अध्यक्ष

प्रयागराज, अमृत विचार : महाकुंभ की तैयारियों की विशेष रूप से चर्चा करने के लिए जुटे तमाम अखाड़ों के संत ने सीएम योगी के सामने अपना पत्र प्रस्तुत करने से पहले दो हिस्सों में विभाजित हो गए। अखाड़ा परिषद में अध्यक्ष पद के दो दावेदारों ने  घमासान मचा दिया। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी फिलहाल, अध्यक्ष के तौर पर अखाड़ा परिषद की बैठक का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने देर शाम अपने साथ 10 अखाड़ों का समर्थन पत्र अपने साथ होने का दावा प्रस्तुत किया। वहीं महानिर्वाणी अखाड़े के रवींद्र पुरी ने खुद को निर्वाचित अध्यक्ष बताते हुए असमंजस पैदा कर दिया।

दारागंज स्थित निरंजनी अखाड़े में दो दिन से चल रही अखाड़ा परिषद की बैठक में रविवार को अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मच गया। विरोधी दल के संतों ने अपने साथ छह अखाड़ों के ही शामिल होने का दावा किया।  शाम को हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी ने कहा कि वह अखाड़ा परिषद के निर्वाचित अध्यक्ष हैं।उन्होंने दावा किया कि दो दिन से जिस परिषद की बैठक में प्रस्ताव पास हो रहे हैं, उसमें सात अखाड़े शामिल नहीं हुए हैं। इस बैठक में पंचायती अटल अखाड़ा, पंचायती निर्वाणी अग्नि अखाड़ा, पंचायती निर्मल अखाड़ा, पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, पंच निर्मोही, पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा और दिगंबर अनी अखाड़ा के पदाधिकारी शामिल नहीं हुए।

उधर, परिषद के अध्यक्ष के रूप में मौजूद  निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि उनको 10 अखाड़ों का समर्थन पत्र मिल चुका है। निरंजनी के अलावा पंच निर्वाणी, जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा, पंच अग्नि अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के अलावा निर्मोही अखाड़े के अपने साथ होने की बात कही है। उन्होंने बताया कि निर्मोही अखाड़े के सचिव अब राजेंद्र दास नहीं रहे। जब वह अखाड़े में किसी पद पर ही नहीं हैं तो वह अखाड़ा परिषद के महामंत्री कैसे हो गए।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ( निरंजनी अखाड़ा) ने बताया कि राजेंद्र दास की जगह सत्येंद्र दास ने उनको समर्थन पत्र भेजा है। राजेंद्र दास का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। 13 में से 10 अखाड़े मेरे साथ हैं, जिसका बहुमत होता है, अध्यक्ष वही बनता है। वहीं, दूसरे अध्यक्ष, महंत रवींद्र पुरी (महानिर्वाणी) का कहना है कि मैं अखाड़ा परिषद का निर्वाचित अध्यक्ष हूं। दो दिन से जो बैठकें चल रही हैं, उसमें सिर्फ पांच अखाड़े ही शामिल हुए हैं। महाकुंभ मेरे नेतृत्व में होगा।