नैनी जिला जेल से रिहा हुए वारंटी के मामले में डीजी जेल ने बनाई अलग कमेटी : डिप्टी जेलर के खिलाफ जांच शुरु

नैनी जिला जेल से रिहा हुए वारंटी के मामले में डीजी जेल ने बनाई अलग कमेटी :  डिप्टी जेलर के खिलाफ जांच शुरु

प्रयागराज, अमृत विचार: नैनी की जिला जेल से वारंटी की रिहाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में डीजी जेल्स ने सख्त होने के बाद दो कमेटियां जांच कर लिए लगाई गई है। इस मामले में   डीजी जेल्स के द्वारा बनाई गई कमेटी और दूसरी जेल अधीक्षक की कमेटी जांच रही है। जांच में डिप्टी जेलर की कमियों की बात सामने आई है फिलहाल अभी इस मामले में अधिकारियों ने खुलकर जवाब नही दिया है। 

 नैनी की जिला जेल से एक वारंटी राजकुमार निवासी भंडारा नवाबगंज की रिहाई ने जेल के अधिकारियों की पोल खोकर रख दिया है। बंदी के रिहाई की खबर को अमृत विचार में प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसके बाद मामले को डीजी जेल्स पीवी रामा शास्त्री ने संज्ञान में लेते हुए स्वयं एक जांच कमेटी बनाई है। जो इस मामले में डिप्टी जेलर की कार्य प्रणाली की जांच कर रही है। वही एक टीम जिला जेल अधीक्षक अमिता दुबे ने बनाकर जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय भेज दिया है। रिहा किए गए बंदी राजकुमार पुत्र रामकुमार की तलाश के लिए लगतार प्रयास किया जा रहा है।  नवाबगंज थाने की पुलिस ने चोरी के मामले में वांछित चल रहे वारंटी की तलाश कर रही है। 

क्या था मामला : बीते 28 जुलाई को नैनी जिला जेल में वारंटी राजकुमार को पुलिस ने दाखिल कराया था। वह डिप्टी जेलर विजय प्रसाद की निगरानी में था। बताया जा रहा है कि इसी बीच 23 सितंबर को जेल से लगभग 20 बंदियों की अदालत जिला न्यायालय में गई थी। जबकि बंदी राजकुमार की पेशी नहीं थी। शाम को आदलत लौटने पर बंदी राजकुमार का दूसरा वारंट (बी) 419, 420 के अन्य मुकदमे में कोर्ट से उन बंदियों के साथ भेजा गया था। 23 सितंबर को उस वारंट को रजिस्टर नंबर 12 में दर्ज नहीं किया गया। डिप्टी जेलर विजय प्रसाद और शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने उस बंदी का वारंट भी नही देखा और बंदी राजकुमार को 24 सितंबर को 21 बजकर 5 मिनट पर जेल गेट रिहाई करा दी।

इसकी जानकारी जेल अधीक्षक अमिता दुबे को भी हुई, लेकिन पूरे मामले को दबाने का प्रयास शुरु कर दिया। बाद में इस रिहाई को लेकर डिप्टी जेलर विजय प्रसाद और शैलेन्द्र प्रताप सिंह के बीच खींचतानी भी हुई। सूत्रों की मानें तो बंदी राजकुमार को रिहा करते समय कुछ अन्य बंदियों को भी रिहा किया गया है। जेल के अधिकारियों ने स्वीकार किया गया है कि इस बंदी का 419 , 420 धारा में वारंट आया था। लेकिन घटना की जानकारी न्यायालय, जेल के उच्च अधिकारियों एवं जिला प्रशासन को नहीं दिया गया। जिला जेल अधीक्षक अमिता दुबे का कहना है कि बंदी की रिहाई को लेकर डीजी जेल्स ने खुद कमेटी बनाकर जांच शुरु करा दी है। मेरी तरफ से जांच रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। इस मामले को कोर्ट ने वारंट जेल में रिसीव नही कराया था। मामले की जांच डीआईजी जेल भी कर रहे है।