गरमपानी: सेना की जमीन पर आपुण बाजार बनाने वालों पर हो कार्रवाई
गरमपानी, अमृत विचार। खैरना क्षेत्र में 92 लाख रुपये रुपये खर्च कर बनाया गया आपुण बाजार अफसरों की कार्यप्रणाली की हकीकत बयां कर रहा है। भारतीय सेना द्वारा आपुण बाजार की जमीन पर हक जताने व न्यायालय से फैसला सेना के पक्ष में आने के बाद से ही किसानों की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। सवाल उठ रहा है कि जब भूमि सेना की थी तो बगैर जांच पड़ताल के भारी भरकम बजट किसको लाभ पहुंचाने के लिए खर्च किया गया।
बेतालघाट, रामगढ़ व पड़ोसी ताड़ीखेत ब्लॉक के किसानों को लाभ पहुंचाने के मकसद से वर्ष 2015 में मंडी समिति हल्द्वानी ने अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे खैरना क्षेत्र में करीब 0.44 हेक्टेयर (22 नाली) जमीन पर लगभग 92 लाख रुपये से आपुण बाजार की नींव रखी। कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर ने आपुण बाजार की जमीन पर अपना हक जताते हुए न्यायालय में वाद दायर कर दिया।
न्यायालय ने भी निर्णय सेना के पक्ष में दिया। फैसला आने के बाद सेना ने आपुण बाजार के मुख्य गेट पर ताला लगाकर आवाजाही प्रतिबंधित कर दी। साथ ही भूमि पर स्वामित्व का बोर्ड भी स्थापित कर दिया। किसान गोधन सिंह के अनुसार जब जमीन सेना की थी तो मंडी समिति ने लाखों रुपये की धनराशि खर्च ही क्यों की।
व्यापारी नेता विरेन्द्र सिंह बिष्ट, गजेंद्र सिंह नेगी, क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति के मनीष तिवारी, फिरोज अहमद, दयाल सिंह, बिशन सिंह, संजय सिंह, शिवराज सिंह आदि ने सेना की भूमि पर जानबूझकर आपुण बाजार का निर्माण करवाने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच करवाने तथा खर्च धनराशि की वसूली उन्हीं अधिकारियों से करवाने की मांग उठाई है। सरकारी भूमि चिह्नित कर क्षेत्र में उपमंडी स्थापित करने पर जोर दिया है ताकी पहाड़ के किसानों को लाभ मिल सके।