प्रयागराज : पारिवारिक कलह विवाह-विच्छेद का आधार नहीं 

प्रयागराज : पारिवारिक कलह विवाह-विच्छेद का आधार नहीं 

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाह- विच्छेद के एक मामले में क्रूरता के आरोपों को अस्वीकार करते हुए कहा कि केवल पारिवारिक कलह को विवाह-विच्छेद के लिए क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि पारिवारिक सदस्यों के बीच मनमुटाव और झगड़े को पारिवारिक कलह की संज्ञा ही दी जाएगी, जो किसी भी तरह क्रूरता के कृत्य की डिग्री या स्थिति को नहीं दर्शाता है, जिसके आधार पर विवाह- विच्छेद हो सके।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने प्रधान न्यायाधीश, बागपत के आदेश को रद्द कर पत्नी द्वारा दाखिल अपील स्वीकार करते हुए पारित किया। दरअसल पति द्वारा लगाए गए क्रूरता के आरोपों को स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट ने पक्षकारों के बीच विवाह भंग कर दिया, जिसे पत्नी ने परिवार न्यायालय अधिनियम,1984 की धारा 19 के तहत चुनौती दी। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी ने अपनी सास तथा कुछ अन्य करीबी रिश्तेदारों के प्रति बहुत क्रूर व्यवहार करते हुए उन पर अपने परिवार वालों से हमला करवाया।

मामले पर विचार करते हुए कोर्ट ने पाया कि विपक्षी/पति ने क्रूरता के आरोपों को सिद्ध करने के लिए कोई उचित साक्ष्य रिकॉर्ड पर प्रस्तुत नहीं किया था। उसे अवसर दिए जाने के बावजूद केवल मौखिक साक्ष्य द्वारा ही घटनाओं के तथ्यों को प्रस्तुत करने की कोशिश की गई, जिस पर ट्रायल कोर्ट को विश्वास नहीं करना चाहिए था